छत पर आकर बैठा कौवा, कांव-कांव चिल्लाया| मुन्नी को यह स्वर ना भाया, पत्थर मार भगाया| तभी वहां पर कोयल आई, कुहू कुहू चिल्लाई| उसकी प्यारी प्यारी बोली, मुनिया के मन भाई| मुन्नी बोली प्यारी कोयल, रहो हमारे घर में| शक्कर से भी ज्यादा मीठा, स्वाद तुम्हारे स्वर में| मीठी बोली वाणी वाले, सबको सदा सुहाते| कर्कश कड़े बोल वाले कब, दुनिया को हैं भाते|
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव ई-मेल: pdayal_shrivastava@yahoo.com
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