समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिंदी या हिंदुस्तानी है। -सर जार्ज ग्रियर्सन।

माखनलाल चतुर्वेदी | Profile & Collections

हिंदी जगत के सुप्रसिद्ध कवि, लेखक व पत्रकार पं. माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को बावई, होशंगाबाद (मध्यप्रदेश) में हुआ।

आपने हिंदी एवं संस्कृत का अध्यापन किया। आप 'कर्मवीर राष्ट्रीय दैनिक के संपादक रहे।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहे।

मुख्य कृतियां :

'हिम-किरीटिनी, 'हिम-तरंगिनी, 'साहित्य-देवता तथा 'कृष्णार्जुन युध्द सम्मिलित हैं। 'हिम-तरंगिनी' पर आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।

 

 

माखनलाल चतुर्वेदी's Collection

Total Records: 4

लड्डू ले लो | बाल-कविता

ले लो दो आने के चारलड्डू राज गिरे के यारयह हैं धरती जैसे गोलढुलक पड़ेंगे गोल मटोलइनके मीठे स्वादों में हीबन आता है इनका मोलदामों का मत करो विचारले लो दो आने के चार।

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पुष्प की अभिलाषा | कविता

चाह नहीं मैं सुरबाला के,गहनों में गूँथा जाऊँ,

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मेंहदी से तस्वीर खींच ली

मेंहदी से तस्वीर खींच ली किसकी मधुर! हथेली पर ।प्राणों की लाली-सी है यह, मिट मत जायहाथों में रसदान किये यह, छुट मत जाययह बिगड़ी पहचान कहीं कुछ बन मत जायरूठन फिसलन से मन चाही मन मत जाय!बेच न दो विश्वास-साँस को, उस मुस्कान अधेली पर!मेंहदी से तस्वीर खींच ली किसकी मधुर! हथेली पर ।हाथों पर लिख रक्खा है क्या सौदा आँख-मिचौनी का?आँखों में भर लायी हो क्या रस? आहत अनहोनी का?क्या बाजी पर चढ़ा दिये ये विमल गोद के धन आली?क्या कहलाने लगा जगत में हर माली ही वनमाली?तुम्हें याद कर रहा प्राणधन उस झिड़कन अलबेली पर ।मेंहदी से तस्वीर खींच ली किसकी मधुर! हथेली पर ।-माखनलाल चतुर्वेदी

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दीप से दीप जले

सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलें,कर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें।

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