समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिंदी या हिंदुस्तानी है। -सर जार्ज ग्रियर्सन।

विष्णु नागर | Profile & Collections

विष्णु नागर का जन्म 14 जून 1950 को हुआ था। आप शाजापुर (मध्यप्रदेश) में पले-बढ़े व वहीं शिक्षा प्राप्त की।

दिल्ली में 1971 से स्वतन्त्र पत्रकारिता आरंभ की ।

'नवभारत टाइप्स' में पहले मुम्बई तत्पश्चात् दिल्ली में विशेष संवाददाता सहित विभिन्न पदों पर रहे। आपने जर्मन रेडियो, 'डोयचे वैले' की हिंदी सेवा का 1982-1984 तक संपादन किया। आप 'हिंदुस्तान' दैनिक के विशेष संवादाता रहे। 2003 से 2008 तक हिंदुस्तान टाइम्स की लोकप्रिय पत्रिका 'कादंबिनी' के कार्यकारी संपादक रहे। दैनिक 'नई दुनिया' से भी जुड़े रहे।

कविता संग्रह- मैं फिर कहता हूँ चिड़िया, तालाब में डूबी छह लड़कियाँ, संसार बदल जाएगा, बच्चे, पिता और माँ, हंसने की तरह रोना, कुछ चीजें कभी खोई नहीं, कवि ने कहा,

कहानी संग्रह- आज का दिन, आदमी की मुश्किल, आह्यान, कुछ दूर, ईश्वर की कहानियाँ, बच्चा और गेंद

उपन्यास- आदमी स्वर्ग में

निबंध संग्रह- हमें देखती आँखें, यर्थाथ की माया, आज और अभी, आदमी और समाज

आलोचना संग्रह- कविता के साथ-साथ

विष्णु नागर 's Collection

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मैं और कुछ नहीं कर सकता था

मैं क्या कर सकता थाकिसी का बेटा मर गया थासांत्वना के दो शब्द कह सकता थाकिसी ने कहा बाबू जी मेरा घर बाढ़ में बह गयातो उस पर यकीन करके उसे दस रुपये दे सकता थाकिसी अंधे को सड़क पार करा सकता थारिक्शावाले से भाव न करके उसे मुंहमांगा दाम दे सकता थाअपनी कामवाली को दो महीने का एडवांस दे सकता थादफ्तर के चपरासी की ग़लती माफ़ कर सकता थाअमेरिका के खिलाफ नारे लगा सकता थावामपंथ में अपना भरोसा फिर से ज़ाहिर कर सकता थावक्तव्य पर दस्तख़त कर सकता था

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सवाल

ईश्वर से पूछा गया कि उन्हें कौन-सा मौसम अच्छा लगता है-ठंड का, गर्मी का या बरसात का?

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