यदि स्वदेशाभिमान सीखना है तो मछली से जो स्वदेश (पानी) के लिये तड़प तड़प कर जान दे देती है। - सुभाषचंद्र बसु।
क्षणिकाएं
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अमिता शर्मा की क्षणिकाएं  - अमिता शर्मा

कवि

कवि तुम
कुम्हार हो क्या?
धरते रहते हो चाक पर
अपनी पराई पीड़ाएं
और गढ़ जाती हैं
कविताएं ।
...

अभिमन्यु | क्षणिका - रमाशंकर सिंह

जब जब लड़ा अभिमन्यु
हर बार वही हारा है
अपनो ने नहीं दिया साथ
गैरों ने छल से मारा है

...

दो क्षणिकाएँ    - मंगलेश डबराल

शब्द
...

दो क्षणिकाएँ - नवल बीकानेरी

पाँव के नीचे से 
निकल गई 
एक छोटी सी कीड़ी,
बड़ी-सी बात कहकर 
कि
मारने वाले से 
बचाने वाला बड़ा है। 
...

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