Important Links
गोपाल सिंह नेपाली | Gopal Singh Nepali | Profile & Collections
गोपाल सिंह नेपाली (Gopal Singh Nepali) का 11 अगस्त 1911 को बेतिया, पश्चिमी चम्पारन (बिहार) में जन्म हुआ। गोपाल सिंह नेपाली को हिन्दी के गीतकारों में विशेष स्थान प्राप्त है, इसीलिए उन्हें, 'गीतों का राजकुमार' कहा गया है। फिल्मों के लगभग 400 गीत लिखे।
प्रकाशित कृतियों में 'उमंग', 'पंछी', 'रागिनी', 'पंचमी', 'नवीन' व 'हिमालय ने पुकारा' प्रमुख हैं, इसके अतिरिक्त प्रभात, सुधा, रतलाम टाइम्व व योगी, साप्ताहिकद्ध का संपादन भी किया। श्रृंगार व प्रणव गीतों से श्रोताओं व पाठकों का मन मोह लेने वाले 'नेपाली' की कलम ने राष्ट्र-प्रेम के गीतों से युवाओं में देशभक्ति के भावों का भरपूर संचार किया।
1963 में मात्र 52 वर्ष की उम्र में भागलपुर रेलवे स्टेशन पर गोपाल सिंह नेपाली का देहांत हो गया।
गोपाल सिंह नेपाली | Gopal Singh Nepali's Collection
Total Records: 6
जब दर्द बढ़ा तो बुलबुल ने | गीत
जब दर्द बढ़ा तो बुलबुल ने, सरगम का घूँघट खोल दिया दो बोल सुने ये फूलों ने मौसम का घूँघट खोल दिया
कवि की बरसगाँठ
उन्तीस वसन्त जवानी के, बचपन की आँखों में बीते झर रहे नयन के निर्झर, पर जीवन घट रीते के रीते
मेरा धन है स्वाधीन कलम
राजा बैठे सिंहासन पर, यह ताजों पर आसीन कलम मेरा धन है स्वाधीन कलम जिसने तलवार शिवा को दी रोशनी उधार दिवा को दी पतवार थमा दी लहरों को ख़ंजर की धार हवा को दी अग-जग के उसी विधाता ने, कर दी मेरे आधीन कलम मेरा धन है स्वाधीन कलम रस-गंगा लहरा देती है मस्ती-ध्वज फहरा देती है चालीस करोड़ों की भोली किस्मत पर पहरा देती है संग्राम-क्रांति का बिगुल यही है, यही प्यार की बीन कलम मेरा धन है स्वाधीन कलम कोई जनता को क्या लूटे कोई दुखियों पर क्या टूटे कोई भी लाख प्रचार करे सच्चा बनकर झूठे-झूठे अनमोल सत्य का रत्नहार, लाती चोरों से छीन कलम मेरा धन है स्वाधीन कलम बस मेरे पास हृदय-भर है यह भी जग को न्योछावर है लिखता हूँ तो मेरे आगे सारा ब्रह्मांड विषय-भर है रँगती चलती संसार-पटी, यह सपनों की रंगीन कलम मेरा धन है स्वाधीन कलम लिखता हूँ अपनी मरज़ी से बचता हूँ क़ैंची-दर्ज़ी से आदत न रही कुछ लिखने की निंदा-वंदन ख़ुदग़र्ज़ी से कोई छेड़े तो तन जाती, बन जाती है संगीन कलम मेरा धन है स्वाधीन कलम तुझ-सा लहरों में बह लेता तो मैं भी सत्ता गह लेता ईमान बेचता चलता तो मैं भी महलों में रह लेता हर दिल पर झुकती चली मगर, आँसू वाली नमकीन कलम मेरा धन है स्वाधीन कलम
बरस-बरस पर आती होली
बरस-बरस पर आती होली,रंगों का त्यौहार अनूठाचुनरी इधर, उधर पिचकारी,गाल-भाल पर कुमकुम फूटालाल-लाल बन जाते काले,गोरी सूरत पीली-नीली,मेरा देश बड़ा गर्वीला,रीति-रसम-ऋतु रंग-रगीली,नीले नभ पर बादल काले,हरियाली में सरसों पीली !
हिंदी है भारत की बोली
दो वर्तमान का सत्य सरल,सुंदर भविष्य के सपने दोहिंदी है भारत की बोलीतो अपने आप पनपने दो