रिमझिम रिमझिम बारिश आई,
 काली घटा फिर है छाई।
 सड़कों पर बह उठा पानी,
 कागज़ की है नाव चलानी
 
 नुन्नू-मुन्नू-चुन्नू आए,
 रंग-बिरंगे छाते लाए।
 कहीं छप-छप, कहीं टप-टप, 
 लगती कितनी अच्छी गपशप।
 
 रिमझिम बारिश की फौहारें
 मन को भातीं खूब बौछारें,
 बारिश की यह मस्ती है,
 हो चाहे कल छुट्टी है। 
 
 - अमृता गोस्वामी, जयपुर
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