नानी कहती एक कहानी

रचनाकार: नफे सिहं कादयान

मुन्नी की अब जिद्द है मानी,
नानी कहती एक कहानी।
कहानी सुनता छुपकर चोर,
उसके सर पर बैठा मोर।

मोर पंख पे नीला तिल्ला,
उसमें निकला काला बिल्ला।
काला बिल्ला बड़ा चटोरा,
उसके आगे रखा कटोरा।

कटोरे में जब खीर सजाई,
चूहा उठकर दे दुहाई।
चूहा खोटा, मारे सोटा,
उसे मनाए हाथी मोटा।

मोटा हाथी तोंद हिलाए,
मच्छर बैठा उसे चिढ़ाए।
मच्छर गाए भीं-भीं राग,
बन्दर करे भागम-भाग।

बन्दर की बारात सजाई,
आगे नाचे भालू भाई।
भालू भाई गाए राग,
मक्खी रानी शहद ले भाग।

शहद बेचने मक्खी जाए,
चींटी उसे आवाज लगाए।
चींटी करती चुपके चोरी,
चीनी की ले जाए बोरी।

बोरी के जब ढक्कन खोले,
उसके अन्दर कछुआ डोले।
कछुए ने हिलाई मुण्डी,
उसके उपर रेंगे सुण्डी।

सुण्डी बैठी बाल संवारे,
झबरा पिल्ला उसे निहारे।
झबरा पिल्ला खाए रोटी,
उसके सर पर दो चोटी।

चोटी उपर हिलती जाए,
तोता बैठा अमरूद खाए।
अमरूद अभी है कच्चा,
दांत से काटे बच्चा।

बच्चा रोया पलाथी मार,
उसको दिए खिलौने चार।
चार खिलौनो से खेले भाई,
मुन्नी को अब निद्रा आई।

-नफे सिंह कादयान,
 गगनपुर, बराड़ा, अम्बाला-133201
 हरियाणा, भारत।