कल के सपने

रचनाकार: सरस्वती कुमार दीपक

बच्चे धरती के प्यारे हैं, 
ये कल के सपने न्यारे हैं।
जीवन की चंचल नदिया के, 
बच्चे अनमोल किनारे हैं।

जो हाथ पालते हैं इनको, 
उनके ये सरस सहारे हैं।
आशाओं की फूलवारी के, 
ये फूल सभी को प्यारे हैं। 

कल के, परसों के, बरसों तक, 
ये बालक पालनहारे हैं ।
ये बालक ही ऐसे सैनिक, 
जो नहीं किसी से हारे हैं।

-सरस्वती कुमार 'दीपक'