बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे,
 वाणी में मिसरी तो घोलो, बोल-बोल को तोल रे।
 मानव मर जाता है लेकिन,
 शब्द कभी ना मरता है।
 शब्द-बाण से आहत मन का,
 घाव कभी ना भरता है।
 सौ-सौ बार सोच कर बोलो, बात यही अनमोल रे,
 बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
 पांचाली के शब्द-बाण से,
 कुरूक्षेत्र रंग लाल हुआ।
 जंगल-जंगल भटके पांडव,
 चीरहरण, क्या हाल हुआ।
 बोल सको तो अच्छा बोलो, वर्ना मुँह मत खोल रे,
 बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
 जो देखोगे और सुनोगे,
 वैसा ही मन हो जायेगा।
 अच्छी बातें, अच्छा दर्शन,
 जीवन निर्मल हो जायेगा।
 अच्छा मन, सबसे अच्छा धन, मनवा जरा टटोल रे,
 बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
 कोयल बोले मीठी वाणी,
 कानों में रस घोले है।
 पिहु-पिहु मन मोर नाचता,
 सबके मन को मोहे है।
 खट्टी अमियाँ खाकर मिट्ठू, मीठा-मीठा बोल रे।
 बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
 
 - आनन्द विश्वास
 anandvishvas@gmail.com