जब तक माँ सिर पै रही बेटा रहा जवान।उठ साया जब तै गया, लगा बुढ़ापा आन॥
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माँ अपनी की आ गई 'रोहित' जब भी याद।उठ पौधों को दे दिया, हमने पानी-खाद॥
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माँ सपने में आ मुझे, पूछे मेरा हाल।दूजी दुनिया में गई, फिर भी मेरा ख्याल॥
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जीवन पूरा ला दिया, पाला सब परिवार।आज उसे मिलती नहीं, घर में रोटी चार॥
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