फीजी हिंदी

रचनाकार: रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

फीजी हिंदी की क्र्चा करने से पहले हमें यह समझ लेना चाहिए कि फीजी हिंदी में अनेक देशज शब्दों यानी के वहाँ की फीजियन भाषा के शब्दों का समावेश है और उनका उच्चारण भी उससे प्रभावित है।  फीजियन भाषा जैसे लिखी जाती है, उसे हिंदी की भांति उसी प्रकार नहीं पढ़ा जाता। उदाहरण के तौर पर फीजी का नगर Nadi नादी न होकर हिंदी में नांदी बोला है। इस प्रकार प्रधानमंत्री Rabuka का नाम 'रबूका' नहीं 'रम्बूका' बोला जाता है। 

आइए, फीजियन वर्णमाला के उच्चारण को थोड़ा समझ लें। 

फीजी में मिशनरियों के आगमन के समय कोई लिखित वर्णमाला उपलब्ध नहीं थी, तो मिशनरियों ने रोमन लिपि का उपयोग करके फीजियन भाषा को लिपिबद्ध किया था। यह लंबी और कठिन प्रक्रिया थी, जिसके परिणामस्वरूप कुछ स्वरों और व्यंजनों को पहली बार बोलने वालों के लिए ठीक से उच्चारित करना कठिन था। अब फीजी के लिए रोमन लिपि का ही उपयोग होता है।

फीजियन भाषा की वर्णमाला के नियमों को याद रखना मुश्किल लग सकता है, लेकिन इसके नियम काफ़ी सरल हैं। यदि आप इन नियमों का ध्यान रखें, तो आप फीजियन शब्दों का सही उच्चारण कर सकेंगे।

a का उच्चारण 'tap' में a की तरह होता है।

b का उच्चारण इसके ठीक पहले 'm' ध्वनि जोड़कर किया जाता है, जैसे 'mb' में।

c का उच्चारण 'th' होता है, जैसा कि 'then' में होता है।

d का उच्चारण से पहले 'n' ध्वनि जोड़ी जाती है, जैसे 'nd' में।

e का उच्चारण जैसे 'pet' में e की तरह किया जाता है।

g का उच्चारण "ng" के रूप में किया जाता है जैसे 'sang' में।

i का उच्चारण 'magazine' में i की तरह के रूप में किया जाता है।

o का उच्चारण 'chore' में o की तरह किया जाता है।

q को 'ng' बोला जाता है, जैसे 'hungry' में (यह 'g' से भिन्न है)।

r आम तौर पर फीजियन उच्चारण में थोड़ा घुमाया बोला जाता है, हालाँकि  अधिकांश शब्दों को ऐसा किए बिना भी समझा जा सकता है।

u का उच्चारण 'too' के रूप में किया जाता है।

आइए, अब विस्तार से ‘फीजी हिंदी’ अध्ययन करें।

हालांकि 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन फीजी में सम्पन्न तो चुका है।  भारत के प्रधानमंत्री फीजी और फीजी के प्रधानमंत्री फीजी का दौरा केआर चुके हैं। फिर भी भारत के मीडिया में जब फीजी के नगरों, स्थानों, या किसी व्यक्ति विशेष की चर्चा होती है तो अधिकतर उनके नाम आदि गलत लिखे और बोले जा रहे हैं। इसका कारण है कि अंग्रेज़ी से सीधा हिंदी में अनुवाद तो हो रहा है लेकिन फीजियन भाषा के शब्द विन्यास और वर्ण भेद पर ध्यान नहीं दिया गया।

फीजी में हिंदी का उपयोग करते हुए, आवश्यक है कि हमें फीजी हिंदी की आधारभूत जानकारी हो। यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, यदि आप हिंदी शिक्षण, पत्रकारिता या लेखन से जुड़े हुए हैं। किसी नए देश का दौरा करते समय, यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि हम वहाँ की भाषा और वहाँ की मूल बातों से परिचित हैं। ऐसा करना आपके लगाव और स्थानीय लोगों के प्रति आपके सम्मान को दर्शाता है। स्थानीय हिंदी शिक्षण हेतु भी फीजी हिंदी के वर्णविन्यास और वर्ण भेदों (Fijian Language Orthography) का परिचय पाना आवश्यक होगा। जब किसी देश में किसी भी अन्य भाषा का अध्यापन किया जाता है तो वहाँ की स्थानीय भाषा के शब्दों का उपयोग होना भी स्वाभाविक है।

‘फीजी हिंदी’ के अनेक शब्द वहाँ के स्थानीय स्थानों, व्यक्तियों और भाषा से आते हैं, यथा उनके बारे में समझना आवश्यक है। यदि आपके पास कोई रिपोर्ट फीजी से अँग्रेजी में आती है और आप उसका हिंदी अनुवाद कर रहे हैं तो बिना उनकी भाषा का ‘शब्द विन्यास और वर्ण भेद’ जाने यह काम सरल न होगा। फीजियन भाषा में बी (b) का उच्चारण ‘ब’ न होकर’ ‘म्ब’ होता है, जैसे ‘Rabuka’ का उच्चारण ‘रबूका’ न होकर ‘रम्बूका’ होगा। इसी तरह ‘सी’ (C) का उच्चारण हिंदी के ‘द’ से मिलता-जुलता है। द (D) का उच्चारण (न्द) है, जैसे वहाँ के नगर ‘Nadi’ को ‘नांदी’ कहा जाएगा। ‘J’ को ‘च’ उच्चारित किया जाता है। ‘T’ ‘ट’ नहीं ‘त’ है, जैसे फीजी का एक नगर ‘लातौका’ है, ‘लाटौका’ नहीं। फीजी के कुछ क्षेत्रों में ‘स’ को ‘ह’ बोलते हैं। यदि उन्हें फीजी की राजधानी ‘सुवा’ कहना है तो वे ‘हुवा’ कहेंगे। H, X और Z फीजियन भाषा में नहीं होते।

बोलचाल की ‘फीजी हिंदी’ लुभावनी है। कई बार सामान्य हिंदी भाषियों को समझने में कुछ कठिनाई हो सकती है। कुछ उदाहरण देखिए –

‘अगोरना पड़ी’ यानी ‘प्रतीक्षा/इंतजार करना पड़ेगा।‘

‘बिहान मिले’ यानी ‘कल मिलेंगे।‘

90 के दशक में भारत से आए लोगों को शिकायत रहती थी कि ‘अगोरना’ और ‘बिहान’ जैसे शब्द उन्होंने पहले ‘हिंदी’ में कभी नहीं सुने लेकिन ये शब्द हिंदी साहित्य में देखने को मिल जाएँगे। ‘अगोरना’ का मतलब होता है, ‘पहरेदारी करना/पहरा देना, रखवाली करना, बाट जोहना/प्रतीक्षा करना/राह देखना।

सूरदासजी ने ‘अगोरना’ का ‘अगोरि’ के रूप में प्रयोग इस प्रकार किया है--

मेरे नैननही सब खोरि ।
स्याम बदन छबि निरखि जु अटके, बहुरे नाहिं बहोरि ॥ 1 ॥
जउ मैं कोटि जतन करि राखति घूँघट-ओट अगोरि ।
तउ उड़ि मिले बधिक के खग ज्यौं पलक पींजरा तोरि ॥

कुछ और ‘फीजी हिंदी’ के वाक्य देखें--

“तुमार लगे मोटर है?’ यानी ‘क्या तुम्हारे पास कार है?

‘ऊ लोग संझा को हियाँ आई।‘ यानी ‘वे लोग शाम को यहाँ आएँगे।‘

‘बस तो चला गये। अब हम लोग कौनची/का करी? यानी ‘बस तो चली गई। अब हम क्या करें?

‘हम लोग चेच जाइस।‘ यानी ‘हम चर्च जाएँगे।‘

‘ऊ लोगन दीस है।‘ यानी ‘उन लोगों ने दिया है।‘

‘इन’ के लिए ‘ई’, ‘उन’ के लिए ‘ऊ’ और कई शब्दों के अंत में ‘स’ का प्रयोग जैसे ‘बताइस’, ‘जाइस’, करीस आदि। ‘बताइस’ यानी ‘बताया’ और ‘जाइस’ यानी ‘जाना/जाता, और ‘करीस’ यानी ‘करना।‘

उदाहरण: ‘ई लोगन कोई काम नहीं करीस।‘ यानी ‘इन लोगों ने कोई काम नहीं किया।‘

‘ऊ बोलिस कि कल आइस।‘ यानी ‘उसने कहा, कल आएगा।‘

यह भी देखा गया कि ‘फीजी हिंदी’ बोलते हुए फीजी के मूल निवासी (काईबीती) और भारतवंशी अनेक शब्दों में ‘र’ को मूक रखते हैं, जैसे-- ‘शर्ट’ ‘मार्किट’, ‘एयरपोर्ट’ को ‘शेट’, ‘माकेट’, ‘अयपौट’ आदि बोला जाता है।

‘फीजी हिंदी’ में कुछ शब्दों में ‘अं’ का उच्चारण नहीं किया जाता, जैसे ‘नींबू’ को ‘निब्बू’ बोला जाता है। कुछ शब्द जैसे ‘काला’ को ‘करिया’, ‘सफेद’ को ‘उज्जर/उज्जल’, ‘हरे’ को ‘हरियर’, ‘ज्यादा’ को ‘जस्ती’, ‘फोटो’ को ‘छापा’, ‘टीचर’ को ‘टीचा’, ‘डॉलर’ ’ को ‘डोला’, ‘तोड़ने’ को ‘तुड़ना’, ‘धन्यवाद’ को ‘धनबाद’ ‘द्वार/किवाड़/दरवाजे’ को ‘पल्ला’ बोला जाता है।

‘यहाँ’ के लिए ‘हियाँ’ और ‘वहाँ’ के लिए ‘हुवाँ’ प्रयोग होता है। ये शब्द हिंदी की बोलियों से ही आए हैं।

कोई ‘बावाला’ कहे तो उसका अर्थ ‘बावला’ नहीं है बल्कि ‘बा का रहने वाला’ है। बा फीजी का एक कस्बा है, यथा ‘बावाला’। 

फीजी हिंदी में ‘जुल्म’ शब्द का सकारात्मक प्रयोग किया जाता है, जबकि सामान्य हिंदी में यह नकारात्मक शब्द है, जिसका अर्थ है, ‘अत्याचार’ या ‘अन्याय’। फीजी हिंदी में ‘जुल्म’ का मतलब ‘अच्छा लगना’ है, जैसे – ‘इ कपड़न में तुम ‘जुल्म’ जनाए।‘ यानी ‘इन कपड़ों में तुम बहुत सुंदर लग रहे/रही हो।‘

फीजी हिंदी गिनती लगभग सामान्य हिंदी ही है, वे ‘दो’ को ‘दुई’ बोलते हैं। भारत में भी कई क्षेत्रों में ‘दो’ को ‘दुई’ बोला जाता है। दिनों के नाम इस प्रकार लिए जाते हैं— सोम्मार (सोमवार), मंगर (मंगलवार), बुध (बुधवार), बिफ (बृहस्पति/वीरवार), सुख (शुक्रवार), शनिचर (शनिवार), इतवार (रविवार/इतवार)।

पिछले कुछ दशकों से ‘फीजी हिंदी’ में कुछ साहित्य भी रचा गया लेकिन अभी उसके प्रभाव का मूल्यांकन करना शायद संभव नहीं होगा। कोई भी नया प्रयोग और नई वस्तु स्वाभाविक रूप से आकृष्ट करती है। उसका सही मूल्यांकन तो समय के साथ ही होता है। यही बात ‘फीजी हिंदी’ में रची गई रचनाओं की भी है। ‘डउका पुरान’ और ‘अधूरे सपने’ मीडिया में काफी लोकप्रिय हुए। डॉ. सुब्रमनी कृत ‘डउका पुरान’ को गिरमिटिया जीवन का दारुण दस्तावेज़ बताया जाता है। डॉ. सुब्रमनी अंग्रेज़ी भाषा के प्रोफेसर रहे हैं। उनका यह उपन्यास फीजी हिंदी भाषा में लिखा गया है।  

‘फीजी हिंदी’ एक लंबी अवधि तक एक बोली के रूप में ही प्रचलित रही है और इसकी लिपि बहुत विकसित और प्रचलित नहीं हुई। आजकल फीजी हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर एक अभियान चल रहा है। ‘फीजी हिंदी’ को स्वतंत्र भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करवाने की मुहिम भी ज़ोरों पर है।

फीजी के कुछ उपयोगी वाक्यांश और वाक्य

1.   Good morning = Yadra Vinaka (‘yahn-drah’ की तरह उच्चारण) = यांदा विनाका, सुप्रभात

2.   Good Night = Moce Mada (मोदे मांडा), शुभ रात्रि

3.   Moce = Goodbye (मोदे), विदा [यह सो जाओ के अर्थ में भी प्रयुक्त होता है]

4.   Yes = Io (pronounced ‘ee-oh’ – इओ), हाँ

5.   No = Sega   (pronounced ‘seng-ah’ – सैना), नहीं

6.   Come = Lako mai (लाको माई), आओ

7.   Go = Lako (लाको), जाओ

8.   Please = Kerekere (कैरेकैरे), कृपा करें/कृपया

9.   Thank you = Vinaka (विनाका) धन्यवाद

10. I’m sorry = Vosoti au = वोसोता ओ (pronounced ‘voe-sah-tee ow‘), क्षमा करें

-रोहित कुमार हैप्पी