हिंदी शिक्षण

न्यूज़ीलैंड में हिंदी शिक्षण 1945 से आरंभ हुआ। हिंदी शिक्षण ऑकलैंड में 1945 के आसपास पंडित अमीचन्द्र शर्मा द्वारा आरंभ हुआ था। पंडित अमीचन्द्र शर्मा फीजी से कुछ समय के लिए न्यूज़ीलैंड आए थे। वे मूलतः भारत से थे। फीजी में उन्होंने ‘हिंदी पोथी’ के सफल प्रयोग किए थे। उस समय यहाँ का गुजराती समुदाय बच्चों को हिंदी पढ़ाना चाहता था यथा गुजराती समुदाय का पूरा समर्थन था। पंडित अमीचन्द्र शर्मा ने कुछ समय यहाँ ऑकलैंड में रहकर हिंदी कक्षाएँ चलाई लेकिन यह शिक्षण बहुत लंबे समय तक न चल सका। पं अमीचन्द्र शर्मा को भी वापिस फीजी लौटना था। इस प्रकार हिंदी शिक्षण की शुरुआत तो हुई पर यह सुचारु न रह सकी लेकिन इतिहास इसका साक्ष्य बन चुका था। दशकों बाद यह सत्य उजागर होकर समाज को प्रोत्साहित करने वाला था। 1945 में रोपा गया हिंदी का बीज 90 के दशक में अंकुरित होने वाला था। 90 के दशक में महात्मा गांधी सेंटर, ऑकलैंड में हिंदी शिक्षण आरंभ हुआ और उधर वेलिंगटन में हिंदी विद्यालय की स्थापना हुई। आज इस देश का शायद कोई ऐसा नगर न होगा, जहां सप्ताहांत में हिंदी विद्यालय संचालित न हो। पठन-पाठन में लगे इन सभी हिंदी प्रेमियों के प्रति हम नतमस्तक हैं।
90 के दशक में ऑकलैंड के ‘महात्मा गाँधी सेंटर’ में इंडियन एसोसिएशन में हिंदी शिक्षण होता था। धीरु भाई पटेल और मोहन भाई हिंदी शिक्षण करते रहे हैं।
1987 में पंडित राम कुमार सेवक ने अपने घर से हिंदी शिक्षण आरंभ किया। 1995 में रामकुमार सेवक, मास्टर विनोद (एम.सी विनोद शर्मा), उनकी धर्मपत्नी व कुछ अन्य साथियों ने ‘हिंदी लैंग्वेज एण्ड कल्चरल सोसाइटी ऑफ न्यूज़ीलैंड’ पंजीकृत किया और उसके अंतर्गत स्कूल चलने लगा। 1998 में इस ट्रस्ट को बदलकर ‘विश्व शांति आश्रम’ में विलय कर दिया गया और मास्टर एम.सी विनोद शर्मा इसके मुख्याध्यापक के रूप में अपनी सेवाएँ देते रहे।
पिछले कई वर्षों से ‘वैलिंगटन हिंदी स्कूल’ में हिंदी पढ़ाई जा रही है। इस विद्यालय की स्थापना 1992 में अभिभावकों के एक समूह ने की थी जिनमें से जगदीश प्रसाद एक थे लेकिन 1995 में वे इससे अलग हो गए। इस समय इसकी वैलिंगटन में 3 शाखाएँ हैं जिसमें लगभग 80 विद्यार्थी हैं। इस स्कूल में 8 शिक्षक हैं और एक बोर्ड इसका संचालन करता है। इस स्कूल के प्रति सुनीता नारायण का समर्पण सराहनीय है। सुनीता नारायण 1995 से इस स्कूल से जुड़ी हुई हैं। ‘सुनीता नारायण’ वैलिंगटन हिंदी स्कूल के अतिरिक्त वैलिंगटन के विक्टोरिया विश्वविद्यालय में ‘कंटिन्युइंग एजुकेशन' के अंतर्गत ‘हिंदी’ अध्यापन करती रही हैं। 2018 में सुनीता नारायण को मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में न्यूज़ीलैंड में हिंदी शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए सम्मानित किया जा चुका है।
1993 में भारतीय मंदिर की स्थापना के पश्चात मंदिर में बाल-विकास के अंतर्गत हिंदी का शिक्षण होने लगा। मंदिर पिछले कई वर्षों से आरम्भिक हिंदी शिक्षण उपलब्ध करवाने में सेवारत है। आरंभिक दौर में ‘रूपा सचदेव’ कई वर्षों तक हिंदी शिक्षण करती रहीं। इस समय ‘ज्योति पाराशर’ मंदिर की ‘शिक्षा और धार्मिक गतिविधियों’ की अध्यक्षा हैं।
ऑकलैंड का ‘वायटाकरे हिंदी स्कूल’ हैंडरसन में हिंदी कक्षाओं के माध्यम से हिंदी का प्रचार कर रहा है। ‘वायटाकरे हिंदी स्कूल’ की शुरुआत 2001 में हुई थी। प्रवेश 5 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए खुला है।19 मई 2019 को वायटाकरे हिंदी स्कूल ने अपना ‘साउथ विंग’ ऑकलैंड के ‘पापाटोएटोए हाई स्कूल’ में आरंभ किया। अब इसकी शाखा हेमिल्टन में भी संचालित है। यह एक मात्र रविवारीय हिंदी विद्यालय है, जिसकी तीन शाखाएँ संचालित हैं। इन सभी विद्यालयों का संचालन सतेन शर्मा करते हैं।
सत्या दत्त के नेतृत्व में 2003 में हिंदी भाषा और संस्कृति का प्रचार-प्रसार आरंभ किया गया। 2009 में 'हिंदी लैंगुएज एंड कल्चर ट्रस्ट ऑव न्यूज़ीलैंड' के रूप में इस न्यास का औपचारिक गठन हुआ। इस न्यास का उद्देश्य न्यूज़ीलैंड में हिंदी शिक्षण के लिए आधार तैयार करना है। ये अनेक वर्षों से विभिन्न हिंदी प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रहे हैं।
ऑकलैंड का ‘भारतीय समाज’ हर रविवार को सुबह 10:30 से दोपहर 1:30 बजे तक नियमित रूप से भाषा और सांस्कृतिक कक्षाएं चलाते हैं। इन कक्षाओं का संचालन भारतीय समाज की शैक्षणिक अध्यक्षा रूपा सचदेव की देखरेख में होता है।
ऑकलैंड का पापाटोएटोए हाई स्कूल देश का पहला मुख्यधारा का स्कूल था जिसने पाठ्यक्रम के रूप में हिंदी का विकल्प उपलब्ध करवाया। इस स्कूल के पूर्व प्रधानाचार्य, ‘पीटर गाल’ (Peter Gall) ने स्कूल में हिंदी भाषा का विकल्प उपलब्ध करवाया और विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा सीखने के लिए प्रेरित किया। अनीता बिदेसी पापेटेटो हाई स्कूल में हिंदी की शिक्षिका हैं। वे पिछले कई वर्षों से हिंदी पढ़ा रही हैं। अनीता बिदेसी कहती हैं, “हमारे स्कूल में 10 से 20 बच्चे प्रति वर्ष हिंदी भाषा सीखते हैं। हम हर वर्ष स्कूल में दीवाली मनाते हैं और विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे सांस्कृतिक आयोजनों में अपनी पारंपरिक वेशभूषा धारण करें। यह देखकर प्रसन्नता होती है कि भारतीयों के साथ-साथ गैर-भारतीय भी बड़े उत्साह से इन आयोजनों में हिस्सा लेते हैं।“
वर्ष 2022 से पापातोटोए नॉर्थ स्कूल में भी हिंदी पढ़ाई जा रही है। यह मुख्यधारा का दूसरा विद्यालय है, जिसमें हिंदी विषय का विकल्प उपलब्ध है।
ऑकलैंड के सनातन शिवचरण ट्रस्ट में भी हिंदी भाषा की कक्षाएँ सुचारु रूप से संचालित हैं।
क्राइस्टचर्च में ‘कैंटरबरी हिंदी ट्रस्ट’ की स्थापना 2007 में हुई थी। ट्रस्ट सप्ताहांत में हिंदी कक्षाएं चलाता है। इस स्कूल का संचालन ‘कला नंद’ करती हैं।
हिमानी मिश्रा ने न्यूज़ीलैंड के दक्षिण नगर ‘इन्वरकार्गिल’ में 2019 से एक नया हिंदी स्कूल आरंभ किया है। ‘साउथलैंड हिंदी स्कूल’ का उद्घाटन 7 फरवरी 2019 को हुआ था। न्यूज़ीलैंड के सप्ताहांत विद्यालयों की शृंखला में यह नवीनतम कड़ी है। इस समय इस स्कूल में 10 विद्यार्थी हैं लेकिन हिमानी मिश्रा अपने विद्यालय को लेकर काफ़ी उत्साहित हैं। 1 फरवरी 2020 से साउथलैंड हिंदी स्कूल 2-6 साल के बच्चों के लिए ‘प्ले ग्रुप’ कक्षाएं आरंभ कर रहा है।
डॉ. टॉड नाचोवित्ज़ पिछले कई वर्षों से हैमिल्टन में हिंदी पढ़ा रहे हैं। सुमन कपूर भी अपने स्तर पर हैमिल्टन में हिंदी पढ़ाती रही हैं।
इस समय कई संस्थाएं अपने स्तर पर हिंदी सेवा में लगी हुई हैं। हिंदी पठन-पाठन का स्तर व माध्यम व्यावसायिक और स्वैच्छिक रहा है। हिंदी के इस अध्ययन-अध्यापन का कोई स्तरीय मानक अभी नहीं है। न्यूज़ीलैंड में औपचारिक रुप से हिंदी शिक्षण की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। स्वैच्छिक हिंदी अध्यापन में जुटे हुए भारतीय मूल के लोगों में व्यावसायिक स्तर के शिक्षकों का अधिकतर अभाव रहा है। ऑकलैंड विश्वविद्यालय व वैलिंगटन के विक्टोरिया विश्वविद्यालय में ‘आरम्भिक' व 'मध्यम’ स्तर की हिंदी ‘कंटिन्युइंग एजुकेशन' के अंतर्गत पढ़ाई जाती रही है।
वैलिंगटन निवासी डॉ. पुष्पा भारद्वाज-वुड का हिंदी शिक्षण, हिंदी अनुवाद और वैलिंगटन के हिंदी स्कूल में पाठ्यक्रम तैयार करने में विशेष योगदान रहा है। आप वैलिंगटन में प्रौढ़ों को भी हिंदी पढ़ाती रही हैं। डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड ने वेलिंगटन हिंदी स्कूल की सुनीता नारायण के साथ मिलकर न्यूज़ीलैंड में हिंदी अध्यापकों की सक्षमता के बारे में सर्वेक्षण किया था जिसके आधार पर वे एक 'ऑनलाइन प्रशिक्षण' कार्यक्रम तैयार करना चाहती हैं।
वैलिंगटन की प्रभा मिश्र, बाला थॉमप्सन, जगदीश प्रसाद, शांति नारायण, रत्न प्रकाश ने भी हिंदी को अपनी सेवाएँ दी। वर्तमान में वैलिंगटन की अनुराधा गुप्ता व्यक्तिगत रूप से हिंदी के पाठ देती हैं जिनमें सामान्य दैनिक वार्तालाप के संवाद सम्मिलित हैं।
न्यूज़ीलैंड में हिंदी के अतिरिक्त भी अनेक भारतीय भाषाओं के ‘सप्ताहांत विद्यालय’ हैं और भारतीय जहां भी बसे हुए हैं, यह स्वाभाविक ही है। विदेशों में प्रवासी भारतीयों द्वारा ऐसे विद्यालय विश्व भर में संचालित हैं।
प्रवीना प्रसाद हिंदी लैंगुएज एंड कल्चर में हिंदी की कक्षाएं लेती रही हैं। सुश्री सुशीला शर्मा भी कई वर्ष तक ऑकलैंड यूनिवर्सिटी की कंटिन्यूइंग एजुकेशन में हिंदी पढ़ाती रही हैं। सुशीला शर्मा ने क्राइस्टचर्च में भी हिंदी शिक्षण किया है।
कम्युनिटी एड्युकेशन के अंतर्गत भी कुछ संस्थाएं हिंदी कक्षाएँ उपलब्ध करवाती हैं।
पिछले कुछ वर्षों से काफी गैर-भारतीय भी हिंदी में रुचि दिखाने लगे हैं। न्यूजीलैंड में अपने कामकाज और अच्छे खासे जीवन को तिलांजलि देकर भारत में जा बसे ‘कार्ल रॉक’ ने अपने यूट्यूब चैनल और अपनी पुस्तक, ‘लर्न हिंदी फ़ास्टर देन आइ डिड’ के माध्यम से ‘हिंदी’ का खूब प्रचार-प्रसार किया है।
‘कार्ल’ अपने यूट्यूब चैनल में धाराप्रवाह हिंदी बोलते हैं। इनके चैनल के सदस्यों की संख्या लाखों में है।
[न्यूज़ीलैंड की हिंदी यात्रा]