फ़चिनो – जहाँ आधुनिक शिक्षा के संग गूंजती है प्राचीन भाषा की स्वर-लहरी

रचनाकार: रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

फ़चिनो स्कूल की स्थापना फरवरी 1997 में एक विशेष उद्देश्य के साथ की गई थी। इसे लंदन के प्रतिष्ठित सेंट जेम्स इंडिपेंडेंट स्कूलों की प्रेरणा से स्थापित किया गया था।.इसकी मूल भावना प्रारंभिक शिक्षा में आध्यात्मिक मूल्यों की पुनर्स्थापना, परंपरागत नैतिकता को संजोए रखना और अनुशासित अध्ययन को बढ़ावा देना था।

इस स्कूल की संकल्पना ऑकलैंड के स्कूल ऑफ़ फिलॉसफी से जुड़े कुछ अभिभावकों ने की थी, जो अपने बच्चों के लिए एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था चाहते थे जो केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों की नींव भी मज़बूत करे।

Sanskrit Class at Ficino School NZछायाचित्र : Ficino Shool NZ

न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड में स्थित फ़चिनो विद्यालय (Ficino School) एक ऐसा विद्यालय है जो आधुनिक शिक्षा और प्राचीन ज्ञान परंपरा का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। यहाँ बच्चों को केवल गणित, विज्ञान या कला नहीं सिखाई जाती, बल्कि संस्कृति, अनुशासन और विचार की गहराई का भी पाठ पढ़ाया जाता है। यही कारण है कि यह विद्यालय अपने विशेष संस्कृत शिक्षण कार्यक्रम के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है।

संस्कृत – भाषा नहीं, एक अनुभव

पिछले 28 वर्षों से फ़चिनो स्कूल में वर्ष 1 से 8 (Years 1 to 8) तक के सभी विद्यार्थियों को संस्कृत पढ़ाई जाती है। लगभग 140 छात्र-छात्राएँ, जो विद्यालय की संपूर्ण छात्र-संख्या है, इस प्राचीन भाषा का अध्ययन कर रहे हैं। विद्यालय का उद्देश्य केवल शब्द ज्ञान या व्याकरण सिखाना नहीं, बल्कि बच्चों में भाषा के प्रति प्रेम और उच्चारण की शुद्धता विकसित करना है।

देवनागरी से आरंभ होता संवाद

संस्कृत की शिक्षा यहाँ देवनागरी लिपि (Devanagari Script) के माध्यम से दी जाती है। विद्यार्थियों को यह लिपि सिखाने के लिए एलेना जेसप (Elena Jessup) और वारविक जेसप (Warwick Jessup) की पुस्तकों — संस्कृत इज़ फन 1–3 (Sanskrit is Fun 1–3) तथा दि स्टोरीज़ ऑफ़ कृष्ण 1 एंड 2 (The Stories of Krishna 1 & 2) — का प्रयोग किया जाता है।

वारविक जेसप, जो इंग्लैंड के स्कूल ऑफ़ फ़िलॉसफ़ी में संस्कृत विभाग के प्रमुख हैं, पिछले लगभग 25 वर्षों से लंदन  स्थित सेंट जेम्स स्कूल जैसे सह-विद्यालयों में भी संस्कृत का अध्यापन कर रहे हैं।

समर्पित शिक्षक, जीवंत परंपरा

फ़चिनो स्कूल में संस्कृत शिक्षण का कार्य एमिली प्रेस्टन (Emilie Preston) करती हैं। वे ऑकलैंड के वाइ ओ टाइकी बे (Wai O Taiki Bay) स्थित स्कूल ऑफ़ फ़िलॉसफ़ी में भी संस्कृत सिखाती हैं। उनके मार्गदर्शन में बच्चे केवल भाषा नहीं सीखते, बल्कि संस्कृत के उच्चारण, छंद, श्लोकों और अर्थ की गहराई को आत्मसात करते हैं।

संस्कृति से जुड़ी हुई शिक्षा

विद्यालय का विश्वास है कि संस्कृत का अध्ययन बच्चों में स्पष्टता, अनुशासन और सौम्यता लाता है। यह भाषा मन को केंद्रित करती है, विचारों को परिष्कृत करती है और विद्यार्थियों में आत्मविश्वास भरती है।

परंपरा और आधुनिक शिक्षा का संगम

फ़चिनो स्कूल की यह पहल इस बात का सशक्त उदाहरण है कि संस्कृति और आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा साथ-साथ चल सकती हैं। यहाँ ज्ञान, चरित्र और संस्कृति — तीनों का समन्वय बनाकर एक ऐसी पीढ़ी तैयार की जा रही है जो विचारशील, संवेदनशील और वैश्विक दृष्टि रखने वाली है।

Sanskrit Class at Ficino School NZछायाचित्र : Ficino Shool NZ

फ़चिनो स्कूल की कक्षाओं में गूंजती संस्कृत की मधुर ध्वनि केवल भाषा नहीं, बल्कि उन मूल्यों की स्मृति है जो मनुष्य को भीतर से उजाला देती है।

यह बड़ा रोचक विषय है कि फ़चिनो विद्यालय भारत की प्राचीन भाषा, ‘संस्कृत’ पढ़ा रहा है, जिससे वह विद्यार्थियों को अंग्रेजी भाषा के लिए अपनी नींव बनाने के लिए सिखा रहा है।

एमिली प्रेस्टन फ़चिनो में भाषा के महत्त्व पर कहती हैं, “आज की तेज़ रफ़्तार दुनिया में स्पष्ट और आत्मविश्वास के साथ संवाद करने की क्षमता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। न्यूज़ीलैंड में हम अनेक भाषाओं के बीच रहते हैं। क्योंकि भाषा और संस्कृति आपस में गहराई से जुड़ी होती हैं, इसलिए बहुसांस्कृतिक वातावरण में पले-बढ़े बच्चों को दूसरी भाषा सीखने से अत्यधिक लाभ मिलता है।“

“अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध शिक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर बारबरा ओकली ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि किसी भाषा को सीखना मस्तिष्क में सशक्त न्यूरल नेटवर्क विकसित करके स्मरण शक्ति, समस्या-समाधान की क्षमता और सभी विषयों में सीखने की प्रक्रिया को सुदृढ़ करता है।“ एमिली कहती हैं, “फ़चिनो में हम बच्चों को भाषा और साहित्य के सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। यही कारण है कि संस्कृत को हमारे पाठ्यक्रम में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अधिकांश आधुनिक यूरोपीय भाषाओं की प्राचीन जड़ के रूप में संस्कृत स्पष्ट व्याकरण और शुद्ध उच्चारण का एक उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत करती है, जो अन्य भाषाओं के अध्ययन में सहायक सिद्ध होता है। संस्कृत के प्रत्येक अक्षर का अपना विशिष्ट उच्चारण होता है और मुख के पाँच स्थानों का प्रयोग विद्यार्थियों को अन्य भाषाओं को सही ढंग से बोलने में मदद करता है। इसकी गोल, संतुलित आकृतियों वाली लिपि स्वयं में एक अनोखा सौंदर्य समेटे हुए है।“

एमिली का मानना है, “संरचना से आगे बढ़कर, संस्कृत विद्यार्थियों को ज्ञान और दर्शन की एक समृद्ध परंपरा से भी परिचित कराती है। ये शाश्वत शिक्षाएँ केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण ही नहीं देतीं, बल्कि आधुनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करती हैं।“

विद्यालय की वेबसाइट पर संस्कृत भाषा अध्ययन के बारे में लिखा है, “सभी विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा सीखने का एक अद्वितीय अवसर भी प्रदान किया जाता है — जो विश्व की सबसे प्राचीन शास्त्रीय भाषाओं में से एक है और हमारे विद्यालय की विशेषता है। इसमें ध्वनि और व्याकरण की उत्कृष्ट प्रणाली है जो बच्चों को किसी भी भाषा के अध्ययन के लिए मज़बूत नींव देती है। बच्चे इसकी व्यवस्थित संरचना और सौंदर्य को बहुत पसंद करते हैं। इसकी ध्वनियों के माध्यम से अंग्रेज़ी उच्चारण में भी स्पष्टता विकसित करते हैं। इसके अभ्यास से बच्चे स्पष्ट, प्रभावशाली और आत्मविश्वासी वक्ता बनते हैं।" 

संस्कृत पठन-पाठन के बारे में बताया गया है, "शुरुआत में अभ्यास मौखिक रूप से कराया जाता है, जबकि लिखित संस्कृत लिपि सामान्यतः दूसरे वर्ष में प्रस्तुत की जाती है। इसके बाद छात्र अनुवाद करना, स्वयं वाक्य बनाना और संस्कृत साहित्य के विशाल एवं समृद्ध भंडार का अन्वेषण करना आरंभ करते हैं। फ़चिनो स्कूल सभी धर्मों और आस्थाओं (या बिना आस्था) के विद्यार्थियों के लिए खुला है और दर्शन के अभ्यास के माध्यम से एक सार्वभौमिक आध्यात्मिक आधार प्रदान करता है।“

-रोहित कुमार हैप्पी