समुद्र के किनारे कुछ हरे-भरे छोटे पौधे लगे थे। उन्हीं के पास कुछ सूखे तिनके पड़े थे।
लहर का एक झोंका आया। हरे पौधों को नहलाकर उसने उनका रूप निखार दिया; पर सूखे पौधों को साथ बहा ले चला।
हरे-भरे पौधों ने यह दृश्य देखा तो खुशी और गर्व से झूमने लगे; तिनकों की परवशता पर उन्हें जोर की हँसी आयी। उस हँसी से सूखे तिनके खीझे नहीं। उन्होंने धैर्य से उत्तर दिया - हम डूबते का सहारा बनने जा रहे हैं।
-प्रेम नारायण टंडन