हिंदी भाषा को भारतीय जनता तथा संपूर्ण मानवता के लिये बहुत बड़ा उत्तरदायित्व सँभालना है। - सुनीतिकुमार चाटुर्ज्या।
 
आँख से सपने चुराने आ गए | ग़ज़ल (काव्य)     
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी'

आँख से सपने चुराने आ गए
वो हमें अपना बनाने आ गए

कम परेशां थी क्या मेरी ज़िंदगी
उसपे हमको तुम सताने आ गए

मैं तो कुंदन हूँ उन्हें मालूम क्या
आग में मुझको तपाने आ गए

उनका कद हमसे कहीं मिलता नहीं
आईना हमको दिखाने आ गए

जो 'ग़ज़ल' रोहित कही थी आपने
अपनी कह हमको सुनाने आ गए

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

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