पीपल के पत्तों पर फिसल रही चाँदनीनालियों के भीगे हुए पेट पर, पास हीजम रही, घुल रही, पिघल रही चाँदनीपिछवाड़े, बोतल के टुकड़ों पर---चमक रही, दमक रही, मचल रही चाँदनीदूर उधर, बुर्ज़ी पर उछल रही चाँदनी।
आँगन में, दूबों पर गिर पड़ी--अब मगर, किस कदर, सँभल रही चाँदनीवो देखो, सामने--पीपल के पत्तों पर फिस...
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