लक्ष्मी शंकर वाजपेयी साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 5

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सैलाब | लघुकथा

पिता की मृत्यु के बाद के सारे कार्य संपन्न हो चुके थे। अब तेरहवीं होनी थी और अगले दिन मुझे नौकरी पर वापस ग्वालियर रवाना हो जाना था.. बस एक ही डर बार बार मुझे बुरी तरह परेशान कर रहा था और उस दृश्य की कल्पना मात्र से सहम उठता था मैं.. और ये दृश्य था मेरी इस बार की विदाई का ..जब दुख का पहाड़ टूट पड़...

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सोनू की बंदूक

सोनू की बंदूक उस तरह की बंदूक नहीं थी जैसी घर घर में बच्चे प्लास्टिक या लोहे की बंदूक से खेलते रहते हैं..। दरअसल सोनू अपनी दोनों हथेलियों को आपस मे गूंथकर दो उंगलियां बंदूक की नाल की तरह सामने रखकर जब ठॉंय करता तो देखने वाला उसकी इस अदा को देखता ही रह जाता..। उसकी इसी प्यारी अदा को देखने के लिए उ...

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अपील

दुनिया भर की सारी धार्मिक किताबों ने,एक सामूहिक अपील जारी की है…कि हम आपकी श्रद्धा और सम्मान के लिए हृदय से आभारी हैं…लेकिन काश आप हमें पूजने की बजायपढ़ लेते!पढ़ने के साथ-साथ समझ लेते… समझने के साथ-साथअपने जीवन में उतार लेते…अंत में बड़ी याचना से लिखा है&hell...

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दहशत

सुबह-सुबह जब पढ़ रहा होता हूँ अख़बारपीठ पर आकर लद जाती है बेटीऔर अपने नन्हें-नन्हें हाथों से मेरी गर्दन को लपेट करझूला सा झूलते हुएअक्षर सीख लेने के नये-नये जोश मेंज़ोर-ज़ोर से पढ़ती हैअखबार की सुर्खियाँकभी जिज्ञासा, कभी कौतूहल, कभी गुस्से से भरकरअक्सर अपनी मनचाही खबर छोड़कर…विस्तार से पढ़...

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संकेतों की भाषा

वे चार पांच के समूह में…बातें करते हैं संकेतों की भाषा में…देखते बनती है उनके हाथों और उँगलियों के संचालन की मुद्राएं और उनकी गति भी…वे बहुत गहरे डूबे हैं अपने वार्तालाप मेंतरह-तरह के भाव उभरते हैं उनके चेहरों पर…उनकी इस अनूठी बातचीत का दृश्य बनाता हैअजीब कौतूहल का वात...

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लक्ष्मी शंकर वाजपेयी का जीवन परिचय