श्रीकृष्ण सरल साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 6

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मैं अमर शहीदों का चारण

मैं अमर शहीदों का चारणउनके गुण गाया करता हूँजो कर्ज राष्ट्र ने खाया है,मैं उसे चुकाया करता हूँ।
यह सच है, याद शहीदों की हम लोगों ने दफनाई हैयह सच है, उनकी लाशों पर चलकर आज़ादी आई है,यह सच है, हिन्दुस्तान आज जिन्दा उनकी कुर्बानी सेयह सच अपना मस्तक ऊँचा उनकी बलिदान कहानी से।वे अगर न होते तो भारत म...

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भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान

आज लग रहा कैसा जी को कैसी आज घुटन हैदिल बैठा सा जाता है, हर साँस आज उन्मन हैबुझे बुझे मन पर ये कैसी बोझिलता भारी हैक्या वीरों की आज कूच करने की तैयारी है?
हाँ सचमुच ही तैयारी यह, आज कूच की बेलामाँ के तीन लाल जाएँगे, भगत न एक अकेलामातृभूमि पर अर्पित होंगे, तीन फूल ये पावन,यह उनका त्योहार सुहावन, ...

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शहीद

देते प्राणों का दान देश के हित शहीदपूजा की सच्ची विधि वे ही अपनाते हैं,हम पूजा के हित थाल सजाते फूलों कावे अपने हाथों, अपने शीष चढ़ाते हैं।
जो हैं शहीद, सम्मान देश का होते वेउत्प्रेरक होतीं उनसे कई पीढ़ियाँ हैं,उनकी यादें, साधारण यादें नहीं कभीयश गौरव की मंज़िल के लिए सीढ़ियाँ हैं।
कर्त्तव्य रा...

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काँटे अनियारे लिखता हूँ

अपने गीतों से गंध बिखेरूँ मैं कैसेमैं फूल नहीं काँटे अनियारे लिखता हूँ।मैं लिखता हूँ मँझधार, भँवर, तूफान प्रबलमैं नहीं कभी निश्चेष्ट किनारे लिखता हूँ।
मैं लिखता उनकी बात, रहे जो औघड़ हीजो जीवन-पथ पर लीक छोड़कर चले सदा,जो हाथ जोड़कर, झुककर डरकर नहीं चलेजो चले, शत्रु के दाँत तोड़कर चले सदा।मैं गाय...

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कहो नहीं करके दिखलाओ

कहो नहीं करके दिखलाओउपदेशों से काम न होगाजो उपदिष्ट वही अपनाओकहो नहीं, करके दिखलाओ।
अंधकार है! अंधकार है!क्या होगा कहते रहने से,दूर न होगा अंधकार वहनिष्क्रिय रहने से सहने सेअंधकार यदि दूर भगानाकहो नहीं तुम दीप जलाओकहो नहीं, करके दिखलाओ।
यह लोकोक्ति सुनी ही होगीस्वर्ग देखने, मरना होगाबात तभी मान...

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आत्म-दर्शन

चन्द्रशेखर नाम, सूरज का प्रखर उत्ताप हूँ मैं,फूटते ज्वाला-मुखी-सा, क्रांति का उद्घोष हूँ मैं।कोश जख्मों का, लगे इतिहास के जो वक्ष पर है,चीखते प्रतिरोध का जलता हुआ आक्रोश हूँ मैं।
विवश अधरों पर सुलगता गीत हूँ विद्रोह का मैं,नाश के मन पर नशे जैसा चढ़ा उन्माद हूँ मैं।मैं गुलामी का कफ़न, उजला सपन स्...

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श्रीकृष्ण सरल का जीवन परिचय