चन्द्रशेखर नाम, सूरज का प्रखर उत्ताप हूँ मैं,फूटते ज्वाला-मुखी-सा, क्रांति का उद्घोष हूँ मैं।कोश जख्मों का, लगे इतिहास के जो वक्ष पर है,चीखते प्रतिरोध का जलता हुआ आक्रोश हूँ मैं।
विवश अधरों पर सुलगता गीत हूँ विद्रोह का मैं,नाश के मन पर नशे जैसा चढ़ा उन्माद हूँ मैं।मैं गुलामी का कफ़न, उजला सपन स्...
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