श्रीकृष्ण सरल
श्रीकृष्ण 'सरल' का जन्म 1 जनवरी 1919 को मध्य प्रदेश के गुना जिले के अशोकनगर में हुआ था। उनके पिता का नाम
पं. भगवती प्रसाद बिरथरे और माता का नाम यमुनादेवी था। श्री सरल के पूर्वज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे, उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते हुए बलिदान दिया था।
सरलजी जब 5 वर्ष के थे, तभी उनकी माता का देहांत हो गया था। आपने लगभग 10 वर्ष की उम्र में काव्य लेखन प्रारंभ कर दिया था। आपकी रुचि राष्ट्रीय लेखन एवं क्रांतिकारियों के जीवन में रही।
श्री सरल द्वारा रचित क्रांतिकारी साहित्य की अनूठी बेजोड़ कृतियां एक देशभक्त की राष्ट्र अर्चना कही जा सकती हैं। "जीवित शहीद' की उपाधि से सम्मानित श्री सरल को सच्ची श्रद्धाञ्जलि यही होगी कि ऐसे प्रयास किए जाएं ताकि उनका कार्य जन-जन तक पहुंचे।
श्री सरल ने राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन के कहने पर युवाओं को संदेश देने के उद्देश्य से क्रांतिकारियों के जीवन पर महाकाव्य का लेखन शुरू किया।
भगतसिंह पर जब महाकाव्य लिखा तो भगतसिंह की माता विद्यावती देवी ने उन्हें चन्द्रशेखर पर भी महाकाव्य लिखने को कहा। इन काव्यों के सृजन में प्रामाणिकता लाने के उद्देश्य से उन्होंने पूरा जीवन यायावरी में बिताया।
सुभाष चन्द्र बोस पर महाकाव्य लिखने से पूर्व उन्होंने 10 देशों की यात्रा कर दुर्लभ संस्मरण एवं छायाचित्र एकत्रित किए, जो भारतीय इतिहास के अनूठे दस्तावेज हैं।
15 महाकाव्यों का लेखन करने वाले इस महान कवि ने अपने निजी व्यय से 125 पुस्तकें, 45 काव्य ग्रंथ, 4 खंड काव्य, 31 काव्य संकलन व 8 उपन्यासों का प्रकाशन किया।
निधन : 2 सितम्बर 2000 को आपका निधन हो गया।