जैनन प्रसाद | फीजी साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 3

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रावण या राम

रामायण के पन्नों मेंरावण को देख कर,काँप उठा मेरा मनअपने अंतर में झाँक कर।
हमारे मन के सिंहासन परभी बैठा हैएक रावण! छिपकर।ईर्ष्या, द्वेष और जलन काआभूषण पहन कर।
बाहर भूसुर! अंदर असुर!सीता हरण को बैठा है यह चतुर ।आज नहीं बचेगी! तब भी नहीं बची लक्ष्मण रेखा! तो कब की मिट चुकी।
रेखा आज भी कुछ अंशों ...

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गुरुदक्षिणा

सायक बिकते हैंधनुः विद्या भी बिकती हैपर बिकते नहीं हैं तो केवलद्रोणचार्य जैसे गुरु।लेकिनसौभाग्य से अगरमिल भी गएऔर कृपालु हों वेअर्जुन ही समझ लें तुम्हेंतो किंकर्तव्यविमूढ़ की भांतितुम लक्ष्य अनुसंधान कर पाओगे?भेद पाओगे! क्या?वह आँख?अगर इस दुष्कर कार्य मेंसफलता मिल भी गईतो मांग बैठेगा तुमसे !गुरुद...

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चीरहरण

हँस रहे हैं आजकई दुशासन।द्रोपदी को निर्वस्त्र देख।और झुके हुए हैंगर्दन वीरों के।सोच रहें है--इस आधुनिक जुग मेंकैसे वार करेंतीरों के।चीखती हुई उसअबला की पुकार सभी को खल रहा है।आज कृष्ण की जगहलोगों मेंदुर्योधन पल रहा है ।
-जैनन प्रसाद, फीजी
 

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जैनन प्रसाद | फीजी का जीवन परिचय