चमकीले पीले रंगों में अब डूब रही होगी धरती,खेतों खेतों फूली होगी सरसों, हँसती होगी धरती!पंचमी आज, ढलते जाड़ों की इस ढलती दोपहरी मेंजंगल में नहा, ओढ़नी पीली सुखा रही होगी धरती!
इसके खेतों में खिलती हैं सींगरी, तरा, गाजर, कसूम;किससे कम है यह, पली धूल में सोनाधूल-भरी धरती!शहरों की बहू-बेटियाँ हैं स...
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