नरेंद्र शर्मा साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 5

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कबीर वाणी

हिन्दुअन की हिन्दुआई देखी तुरकन की तुरकाई ! सदियों रहे साथ, पर दोनों पानी तेल सरीखे ; हम दोनों को एक दूसरे के दुर्गुन ही दीखे !
घर-घर नगर-नगर में हमने निर्दय अगन जलाई !
हम दोनों के नाम अलग पर काम एक से, भाई ! यहाँ नाम का धरम, फिरी हैजिसके नाम दुहाई ! देवपुरुष की दुष्कर हत्या हमने कर दिखलाई !
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गाँव की धरती

चमकीले पीले रंगों में अब डूब रही होगी धरती,खेतों खेतों फूली होगी सरसों, हँसती होगी धरती!पंचमी आज, ढलते जाड़ों की इस ढलती दोपहरी मेंजंगल में नहा, ओढ़नी पीली सुखा रही होगी धरती!
इसके खेतों में खिलती हैं सींगरी, तरा, गाजर, कसूम;किससे कम है यह, पली धूल में सोनाधूल-भरी धरती!शहरों की बहू-बेटियाँ हैं स...

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जो समर में हो गए अमर

जो समर में हो गए अमर, मैं उनकी याद मेंगा रही हूँ आज श्रद्धा-गीत धन्यवाद मेंजो समर में हो गए अमर ...
लौट कर न आएंगे विजय दिलाने वाले वीरमेरे गीत अंजली में उनके लिए नयन-नीरसंग फूल-पान केरँग हैं निशान केशूर वीर आन केजो समर में हो गए अमर ...
विजय के फूल खिल रहे हैं, फूल अध-खिले झरेउनके खून से हमारे...

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ग्राम चित्र

मक्का के पीले आटे-सी धूप ढल रही साँझ की!देवालय में शंख बज उठा,घंट-नाद ध्वनि झांझ की!
गाय रंभाती आती, ग्वाला सेंद चुरा कर खा रहा!पथवारी पर बैठा जोगी गीत ज्ञान के गा रहा!
कहीं अकेले , कहीं दुकेले सारस पोखर में खड़े!पोखर के उस पार, गाँव में घर घर दीये हंस पड़े!
सर पर धरे घड़ा करी का घर आ रहा किस...

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जीवन

घडी-घड़ी गिन, घड़ी देखते काट रहा हूँ जीवन के दिन क्या सांसों को ढोते-ढोते ही बीतेंगे जीवन के दिन? सोते जगते, स्वप्न देखते रातें तो कट भी जाती हैं, पर यों कैसे, कब तक, पूरे होंगे मेरे जीवन के दिन?
कुछ तो हो, हो दुर्घटना ही मेरे इस नीरस जीवन में।और न हो तो लगे आग ही इस निर्जन बाँसी ...

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नरेंद्र शर्मा का जीवन परिचय