कबीर वाणी

रचनाकार: नरेंद्र शर्मा

हिन्दुअन की हिन्दुआई देखी
तुरकन की तुरकाई !
सदियों रहे साथ, पर दोनों
पानी तेल सरीखे ;
हम दोनों को एक दूसरे के
दुर्गुन ही दीखे !

घर-घर नगर-नगर में हमने
निर्दय अगन जलाई !

हम दोनों के नाम अलग
पर काम एक से, भाई !
यहाँ नाम का धरम, फिरी है
जिसके नाम दुहाई !
देवपुरुष की दुष्कर हत्या
हमने कर दिखलाई !

- पं. नरेंद्र शर्मा [ 7-2-1948, बम्बई ]