त्रिलोचन साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 11

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यह दिल क्या है देखा दिखाया हुआ है

यह दिल क्या है देखा दिखाया हुआ है
मगर दर्द कितना समाया हुआ है
मेरा दुख सुना चुप रहे फिर वो बोले

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फिर तेरी याद

फिर तेरी याद जो कहीं आई
नींद आने को थी नहीं आई
मैंने देखा विपत्ति का अनुराग

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तुलसी बाबा

तुलसी बाबा, भाषा मैंने तुमसे सीखी
       मेरी सजग चेतना में तुम रमे हुए हो ।
कह सकते थे तुम सब कड़वी, मीठी, तीखी ।

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चंपा काले-काले अक्षर नहीं चीन्हती

चम्पा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती
मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है
खड़ी खड़ी चुपचाप सुना करती है

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भटकता हूँ दर-दर | ग़ज़ल

भटकता हूँ दर-दर कहाँ अपना घर है
इधर भी, सुना है कि उनकी नज़र है
उन्होंने मुझे देख के सुख जो पूछा

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यह चिंता है | ग़ज़ल

यह चिंता है वह चिंता है
जी को चैन कहाँ मिलता है
फूल आनंद का बहुत खोजा,

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बिस्तरा है न चारपाई है

बिस्तरा है न चारपाई है
जिंदगी ख़ूब हम ने पाई है
कल अंधेरे में जिस ने सर काटा,

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दुख में भी परिचित मुखों को

दुख में भी परिचित मुखों को तुम ने पहचाना है क्या
अपना ही सा उन का मन है यह कभी माना है क्या
जिन की हम ने याद की जिन के लिए बैठे रहे

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चतुष्पदियाँ 

स्वर के सागर की बस लहर ली है 
और अनुभूति को वाणी दी है 
मुझ से तू गीत माँगता है क्यों 

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चुप क्यों न रहूँ | ग़ज़ल

चुप क्यों न रहूँ हाल सुनाऊँ कहाँ कहाँ
जा जा के चोट अपनी दिखाऊँ कहाँ कहाँ
जो देखा है अच्छा हो उसे दिल भी न जाने

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मेरा दिल वह दिल है | ग़ज़ल

मेरा दिल वह दिल है कि हारा नहीं है
कहीं तिनके का भी सहारा नहीं है
जो मोजों को देखा तो जी हो न माना

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त्रिलोचन का जीवन परिचय