रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 188

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न्यू मीडिया क्या है?

न्यू मीडिया क्या है?
'न्यू मीडिया' संचार का वह संवादात्मक (Interactive) स्वरूप है जिसमें इंटरनेट का उपयोग करते हुए हम पॉडकास्ट, आर एस एस फीड, सोशल नेटवर्क (फेसबुक, माई स्पेस, ट्वीट्र), ब्लाग्स, विक्किस, टैक्सट मैसेजिंग इत्यादि का उपयोग करते हुए पारस्परिक संवाद स्थापित करते हैं। यह संवाद माध्यम ब...

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वेब पत्रकारिता - योग्यताएं व संसाधन

न्यू मीडिया
न्यू मीडिया और ऑनलाइन पत्रकारिता की नई माँगें
नि:संदेह न्यू मीडिया बड़े सशक्त रूप से परंपरागत प्रचलित मीडिया को प्रभावित कर रहा है। आज पत्रकारों को न्यू मीडिया से जुड़ने के लिए नई तकनीक, आधुनिक सूचना-प्रणाली, सोशल-मीडिया, सर्च इंजन प्रवीणता और वेब शब्दावली से परिचय होना अति-आवश्यक ह...

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वेब पत्रकारिता लेखन व भाषा

वेब पत्रकारिता लेखन व भाषा
वेब पत्रकारिता, प्रकाशन और प्रसारण की भाषा में आधारभूत अंतर है। प्रसारण व वेब-पत्रकारिता की भाषा में कुछ समानताएं हैं। रेडियो/टीवी प्रसारणों में भी साहित्यिक भाषा, जटिल व लंबे शब्दों से बचा जाता है। आप किसी प्रसारण में, 'हेतु, प्रकाशनाधीन, प्रकाशनार्थ, किंचित, कदापि,...

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न्यू मीडिया विशेषज्ञ या साधक

न्यू मीडिया विशेषज्ञ या साधक
आप पिछले 15 सालों से ब्लागिंग कर रहे हैं, लंबे समय से फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब इत्यादि का उपयोग कर रहे हैं जिसके लिए आप इंटरनेट, मोबाइल व कम्प्यूटर का प्रयोग भी करते हैं तो क्या आप न्यू मीडिया विशेषज्ञ हुए? ब्लागिंग करना व मोबाइल से फोटो अपलोड कर देना ही काफी नहीं है।...

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हम भी काट रहे बनवास

हम भी काट रहे बनवासजावेंगे अयोध्या नहीं आस
पडूं रावण पर कैसे मैं भारीनहीं लक्ष्मण भी है मेरे पास
यहाँ रावण-विभीषण हैं साथकरूं लँका का कैसे मैं नास
कौन फूँकेगा सोने की लँकायहाँ है कहाँ हनुमन-सा दास
सीया बैठी है कितनी उदासराम आवेंगे है उसको आस
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
 

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बाबा | हास्य कविता

दूर बस्ती से बाहरबैठा था एक फ़क़ीरपेट से भूखा थातन कांटे सा सूखा था।
बस्ती में फ़क़ीर की ऐसी हवा हैकहते हैं -बाबा के पास हर मर्ज़ की दवा है।
आस-पास मिलने वालों की भीड थीकोई लाया फूल, किसी के डिब्बे मे खीर थी।
फ़क़ीर से माँग रहे थे वे सबजिनके मोटे-मोटे पेट थेदेखने में लगते सेठ थे।
बाबा के आगे ...

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उसे कुछ मिला, नहीं !

कूड़े के ढेर सेकुछ चुनते हुए बच्चे को देखएक चित्रकार नेकरूणामय चित्र बना डाला।
कवि नेएक मार्मिक रचनारच डाली।
एक कहानीकार ने'उसी बच्चे' परकालजयीकहानी कही।
जनता नेप्रदर्शनी में चित्र,मंच पर कविता,औरपत्रिका में छपीकहानी को ख़ूब सराहा।
पर उस बच्चे ने--चित्र, कविता और कहानी से क्या पाया?
वो अब भी...

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भिखारी| हास्य कविता

एक भिखारी दुखियाराभूखा, प्यासाभीख मांगताफिरता मारा-मारा!
'अबे काम क्यों नहीं करता?''हट......हट!!'कोई चिल्लाता,कोई मन भर की सीख दे जाता।पर.....पर....भिखारी भीख कहीं ना पाता!
भिखारी मंदिर के बाहर गयाभक्तों को 'राम-राम' बुलायाकिसी ने एक पैसा ना थमायाभगवन भी काम ना आया!
मस्जिद पहुँचाआने-जाने वालों...

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संवाद | कविता

"अब तो भाजपा की सरकार आ गई ।" मैंने उस गुमसुम रिक्शा वाले से संवाद स्थापित किया ।
भाजपा आए या कांग्रेस जाए..हमें क्या फर्क पड़ता है?दो जून की कमाने के लिए हमें तो तिल-तिल मरना पड़ता है ।
मैंने कहा, "तुम खुश नहीं?"
"आप तो खुश होंगे बाबू?टैक्स कम देना पड़ेगा, शिक्षा भी बेहतर होगी !"
"हाँ!" मैं ...

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रोहित कुमार 'हैप्पी' के आलेख

रोहित कुमार 'हैप्पी' के आलेख

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रोहित कुमार हैप्पी के भजन

रोहित कुमार हैप्पी का भजन संग्रह।

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दो क्षणिकाएं

कवि 
तुम्हारी कलम मेंवो 'पीर' नहीं। तुमने शब्द गढ़े,जीये नहीं। तुम कवि तो हुएकबीर नहीं! 
- रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
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स्पष्टीकरण 
हाँ, मैंने कहा था--अच्छे दिन आएँगे। कब कहा था, लेकिन --तुम्हारे? 
- रोहित कुमार 'हैप्पी'

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आज़ादी

भोग रहे हम आज आज़ादी, किसने हमें दिलाई थी!                   चूमे थे फाँसी के फंदे, किसने गोली खाई थी?
बलिवेदी को शीश दिया था, मौत से करी सगाई थी,          ...

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रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड का जीवन परिचय