कैसे निज सोये भाग को कोई सकता है जगा, जो निज भाषा-अनुराग का अंकुर नहिं उर में उगा। - हरिऔध।

 
हाइकु
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कुछ हाइकु - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas)

1)
मन की बात
सोचो, समझो और
मनन करो।
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