कैसे निज सोये भाग को कोई सकता है जगा, जो निज भाषा-अनुराग का अंकुर नहिं उर में उगा। - हरिऔध।

 
लोक-कथाएं
क्षेत्र विशेष में प्रचलित जनश्रुति आधारित कथाओं को लोक कथा कहा जाता है। ये लोक-कथाएं दंत कथाओं के रूप में एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में प्रचलित होती आई हैं। हमारे देश में और दुनिया में छोटा-बड़ा शायद ही कोई ऐसा हो, जिसे लोक-कथाओं के पढ़ने या सुनने में रूचि न हो। हमारे देहात में अभी भी चौपाल पर गांववासी बड़े ही रोचक ढंग से लोक-कथाएं सुनते-सुनाते हैं। हमने यहाँ भारत के विभिन्न राज्यों में प्रचलित लोक-कथाएं संकलित करने का प्रयास किया है।

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भेड़िया और बकरी - अरविंद कुमार

एक बार की बात है, एक जंगल में एक बकरी रहती थी, उसने अपने लिए जंगल में एक झोंपड़ी बनायी और वहाँ अपने बच्चों को जन्म दिया। बकरी अकसर चारे की खोज में घास वाले जंगल में जाया करती थी। बकरी के बाहर जाते ही उसके बच्चे खुद को झोंपड़ी के अंदर बंद कर लेते थे, और कहीं बाहर नहीं जाते थे। बकरी वापस आने पर दरवाजे को खटखटा कर गाना गाती:
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