विदेशी भाषा के शब्द, उसके भाव तथा दृष्टांत हमारे हृदय पर वह प्रभाव नहीं डाल सकते जो मातृभाषा के चिरपरिचित तथा हृदयग्राही वाक्य। - मन्नन द्विवेदी।

कवि

 (काव्य) 
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रचनाकार:

 रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

तुम्हारी कलम में
वो 'पीर' नहीं।
तुमने शब्द गढ़े,
जीये नहीं।
तुम कवि तो हुए
कबीर नहीं!

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

 

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