“ये कहाँ लेकर आए हो मुझे?”
“अपने गांव…और कहाँ!”
“क्या...ये तुम्हारा गांव है?”
“हाँ...यही है, ये देखो हमारी बकरी और वो मेरा भतीजा।”
“ओह नो, तुम इस बस्ती से बिलॉन्ग करते हो?”
“हाँ, तो?”
“सुनो, मुझे अभी वापस लौटना है।“
“ऐसे कैसे वापस जाओगी? तुम इस घर की बहू हो, बस माँ अभी खेत से आती ही होगी।“
“मैं वापस जा रही हूँ...सॉरी, मुझसे भूल हो गई। तुम डॉक्टर थे इसलिए...।“
“तो...इसलिए क्या?”
“...इसलिए तुम्हारा बैकग्राउंड नहीं देखा मैंने।“
- कान्ता रॉय, भारत