अकबर से लेकर औरंगजेब तक मुगलों ने जिस देशभाषा का स्वागत किया वह ब्रजभाषा थी, न कि उर्दू। -रामचंद्र शुक्ल
सर्दी का सूरज  (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:पूर्णिमा वर्मन

सुबह-सुबह आ जाता सूरज
दंगा नहीं मचाता सूरज

ना आँधी, ना धूल पसीना
सरदी में मनभाता सूरज

छतरी लगा बाग में बैठो
पिकनिक रोज़ मनाता सूरज

बर्गर हो या पिज़ा, पेस्ट्री
सबके मज़े बढ़ाता सूरज

नरम दूब पर छाया रहता
यहाँ वहाँ इतराता सूरज

दिन भर मेरे साथ खेलता
शाम ढले घर जाता सूरज

-पूर्णिमा वर्मन

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