चाँद
मम्मी देखो न ये चाँद टुकुर-टुकुर तकता है मुँह से तो कुछ न बोले पर मन ही मन ये हँसता है चैन से मुझको सोने नहीं देता खुद सारी रात चलता है मम्मी देखो न ये चाँद टुकुर टुकुर तकता है
इसको भी चपत लगाओ खूब ज़ोर से डांट लगाओ मुझको नींद आती है फिर ये सारी रात जगता है मम्मी देखो न ये चाँद टुकुर टुकुर तकता है
ये नहीं स्थिर मन का कभी घटता, कभी बढ़ता है कभी आकाश में छुप जाता है मुँह से तो कुछ न बोले पर मन ही मन ये हँसता है मम्मी देखो न ये चाँद टुकुर टुकुर तकता है
- डॉ वंदना शर्मा
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छुक छुक चलती ट्रेन
धुआं उडाती चलती ट्रेन तुम भी चढ़े, हम भी चढ़े दोनों मिलें दोस्त बने बातें बढ़ी, यारी बढ़ी छुक-छुक आगे बढ़ी ट्रेन
ये हवा बहे साथ-साथ रस्ते चलते हैं साथ-साथ हम चलेंगे साथ-साथ चलती है साथ-साथ ये ट्रेन छुक छुक चलती ट्रेन
- डॉ वंदना शर्मा ई-मेल: vandna.reporter@gmail.com
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