यह कैसे संभव हो सकता है कि अंग्रेजी भाषा समस्त भारत की मातृभाषा के समान हो जाये? - चंद्रशेखर मिश्र।
इस दुनिया के रंग निराले (काव्य)  Click to print this content  
Author:रोहित कुमार हैप्पी

इस दुनिया के रंग निराले
मुँह के मीठे दिल के काले।

यूं तो हरदम हाथ मिलावें
पीठ पे मारें छुरी-भाले।

पत्थर हीरा, हीरा पत्थर
तेरी आँखों में हैं जाले।

जब भी हाथ मिलाए जालिम
हाथों में पड़ ज़ाए छाले।

करना पडता है कुरूक्षेत्र
युद्ध नहीं जब टलता टाले।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

 

Previous Page
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें