झूठ के साए में सच पलते नहीं हम किसी क़ातिल से हैं डरते नहीं
हर बड़ी इच्छा हैं वो पाले हुए और कुछ भी हैं कर्म करते नहीं
वक्त ने कुंदन बनाया हो जिसे वो किसी भी आग से डरते नहीं
वो मसीहा नाम से मशहूर हैं दुःख ग़रीबों के कभी हरते नहीं
यूँ तो थोड़े बदमिज़ाज हम भी हैं बेवजह पर हम कभी लड़ते नहीं
- रोहित कुमार 'हैप्पी' |