
एक बार शेख चिल्ली को मकान बदलना था। इसी बात की चिंता करते-करते शेख चिल्ली गहरी नींद सो गए।। अचानक उनके घर में चोर घुस आए।
शेख चिल्ली की नींद टूट गई और उन्हें एहसास हो गया कि घर में चोर घुसे हुए हैं। डर के मारे उनका दिल जोरों से धड़कने लगा। वे धीरे से बिस्तर से लुढ़कर कमरे के एक कोने में दुबक कर बैठ गए।
चोर आराम से घर का सामान सफाया करने में लगे रहे। बर्तन, कपड़े, चादरें, तकिए – जो मिला सब गट्ठरी में बाँध लिया। सामान की गट्ठरी तैयार कर कंधे पर उठाया और चल पड़े।
शेख चिल्ली ने कोने से झाँका, फिर बिना आवाज़ किए अपना बिस्तर उठाया और चोरों के पीछे-पीछे चल दिए। चोरों को ज़रा भी पता न चला कि घर का मालिक भी खुद उनके पीछे है।
जब चोर अपने अड्डे पर पहुँचे और गट्ठरी उतारने लगे, तभी पीछे मुड़कर देखा तो शेख चिल्ली हाथ में बिस्तर दबाए खड़े मुस्कुरा रहे थे।
चोर हैरान होकर बोले, “अरे भाई, तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”
शेख चिल्ली ने मासूमियत से कहा, “भाई साहब, हम लोग तो मकान बदल रहे हैं न! आपने सारा सामान उठा लिया, मैंने सोचा मेरा बिस्तर भी साथ ले आऊँ, वरना नये घर पहुँचकर सोऊँगा कहाँ?”
ये सुनते ही चोरों के पेट में हँसी का गुबार फूट पड़ा। वे ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे। हँसते-हँसते उनका दम फूल गया। आख़िरकार वे सारा सामान वहीं छोड़कर, “पागल कहीं का!” कहते हुए रात के अंधेरे में गायब हो गए।
शेख चिल्ली आराम से अपना सामान वापस घर ले आए और बिस्तर बिछाकर सो गए।
[भारत-दर्शन संकलन]