तू है बादलतो, बरसा जल
महल के नीचेमीलों दलदल
एक शून्य कोकितनी हलचल
नाम ही माँ काहै गंगा जल
छाँव है ठंडीतेरा आँचल
नन्ही बिटियानदिया कलकल
तेरी यादेंमहकें हर पल
और पुकारोखुलेगी सांकल
- लक्ष्मी शंकर वाजपेयी[साभार - लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ब्लॉग]