तुझसे मिलकर हमें महसूस ये होता रहा है | ग़ज़ल

रचनाकार: डा भावना

तुझसे मिलकर हमें महसूस ये होता रहा है
तू सारी रात यूं ही जागकर सोता रहा है

हसीन ख्वाब की नरम जमीन से गुजरते हुए
कड़ी मिट्टी-सा कड़े जख्म संग सोता रहा है

पड़े थे छींटे जो दामन पर उछलकर तेरे
पूरी उम्र उसके दाग छुपकर धोता रहा है

कभी जो टूटकर बिखर गया था प्रेम का मोती
वह चुन-चुन कर उन दानों को पिरोता रहा है

पा लो भले तू मंजिलें और दौलत की नगरी
पाओगे कहां प्यार जो हर पल खोता रहा है

- डा भावना

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