अपनी सरलता के कारण हिंदी प्रवासी भाइयों की स्वत: राष्ट्रभाषा हो गई। - भवानीदयाल संन्यासी।

कृष्ण सुकुमार | Krishna Sukumar

जन्म- 15 अक्तूबर 1954 को रुड़की में
शिक्षा- स्नातक

साहित्य सृजन-

कहानी संग्रह- सूखे तालाब की मछलियाँ, उजले रंग मैले रंग।

उपन्यास- इतिसिद्धम, हम दोपाये हैं, आकाश मेरा भी।

गजल संग्रह- पानी की पगडंडी

देश के विभिन्न प्रदेशों से प्रकाशित 24-25 संकलनों में कहानियाँ, कविताएं व ग़ज़लें प्रकाशित।

पुरस्कार व सम्मान-

  • उपन्यास “इतिसिद्धम्” की पांडुलिपि पर वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा ”प्रेम चन्द महेश“ सम्मान- 1989
  • उत्तर प्रदेश अमन कमेटी, हरिद्वार द्वारा “सृजन सम्मान” 1994
  • साहित्यिक संस्था ”समन्वय,“ सहारनपुर द्वारा “सृजन सम्मान” 1994
  • मध्य प्रदेश पत्र लेखक मंच, “बैतूल द्वारा काव्य कर्ण सम्मान” 2000
  • साहित्यिक सँस्था \"समन्वय,\" सहारनपुर द्वारा “सृजन सम्मान” 2006


सम्प्रति-
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की में कार्यरत।


सम्पर्क-

153-ए/8, सोलानी कुंज
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानरुड़की - 247 667 (उत्तराखण्ड)
मोबाइल- 09897336369


ईमेल- kktyagi.1954@gmail.com

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