मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर। - चंद्रबली पांडेय।

उपेन्द्रनाथ अश्क | Upendranath Ashk | Profile & Collections

उपेन्द्रनाथ का जन्म 14 दिसंबर, 1910 को जालंधर में हुआ। आपने लाहौर से कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की। बाद में, स्कूल में अध्यापक हो गए। 1933 में साप्ताहिक 'भूचाल' का प्रकाशन आरंभ किया।

अश्कजी को अध्यापन, पत्रकारिता, वकालत, रंगमंच, रेडियो, प्रकाशन और स्वतंत्र लेखन का व्यापक अनुभव  था। 1936 में पहली पत्नी का निधन हो गया व 1941 में कौशल्याजी से दूसरा विवाह किया।

उर्दू में 'जुदाई की शाम का गीत', 'नवरत्न,' व 'औरत की फितरत' संग्रह प्रकाशित।

अश्कजी ने आठ नाटक, अनेक एकांकी, सात उपन्यास, दो सौ से भी अधिक कहानियां, अनेक संस्मरण लिखे। 

आपके उपन्यास 'सितारों के खेल', 'गिरती दीवारें', 'गर्म राख', 'पत्थर अल पत्थर', 'शहर में घूमता आईना', 'एक नन्ही कंदील', 'बड़ी-बड़ी आंखें' खासे चर्चित रहे।

उपेन्द्रनाथ अश्क | Upendranath Ashk's Collection

Total Records: 5

आज मेरे आँसुओं में, याद किस की मुसकराई? | गीत

आज मेरे आँसुओं में, याद किस की मुसकराई?

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इश्क और वो इश्क की जांबाज़ियाँ | ग़ज़ल

इश्क और वो इश्क की जांबाज़ियाँ हुस्न और ये हुस्न की दम साज़ियाँ

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उसने मेरा हाथ देखा | कविता

उसने मेरा हाथ देखा और सिर हिला दिया,"इतनी भाव प्रवीणतादुनिया में कैसे रहोगे!इसपर अधिकार पाओ,वरनालगातार दुख दोगेनिरंतर दुख सहोगे!"

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सड़कों पे ढले साये | कविता

सड़कों पे ढले साये दिन बीत गया, राहेंहम देख न उकताये! 

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डाची | कहानी

काट* 'पी सिकंदर' के मुसलमान जाट बाक़र को अपने माल की ओर लालच भरी निगाहों से तकते देखकर चौधरी नंदू पेड़ की छाँह में बैठे-बैठे अपनी ऊंची घरघराती आवाज़ में ललकार उठा, "रे-रे अठे के करे है?*" और उसकी छह फुट लंबी सुगठित देह, जो वृक्ष के तने के साथ आराम कर रही थी, तन गई और बटन टूटे होने का कारण, मोटी खादी के कुर्ते से उसका विशाल सीना और उसकी मज़बूत बाहें दिखाई देने लगीं।

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