मुस्लिम शासन में हिंदी फारसी के साथ-साथ चलती रही पर कंपनी सरकार ने एक ओर फारसी पर हाथ साफ किया तो दूसरी ओर हिंदी पर। - चंद्रबली पांडेय।

गोपालदास ‘नीरज’ | Profile & Collections

गोपालदास ‘नीरज’ का जन्म 4 जनवरी 1924 को इटावा (उत्तर प्रदेश) में हुआ। हिन्दी गीतों का पर्यायवाची बन चुके नीरज महाविद्यालय में प्राध्यापक रह चुके हैं।

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने उन्हें हिन्दी की वीणा का नाम दिया था।

नीरज जब मंच पर झूम कर काव्यपाठ करते हैं तो श्रोताओं मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। 

भारत सरकार के पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे अलंकरणों से अलंकृत गोपालदास ‘नीरज’ हिन्दी काव्य जगत् की गरिमा हैं।

गीतकार व कवि गोपालदास 'नीरज' का 19 जुलाई की सांय दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में देहांत हो गया। 'नीरज' 93 वर्ष के थे।

 

गोपालदास ‘नीरज’'s Collection

Total Records: 13

बदन पे जिसके... 

बदन पे जिसके शराफत का पैरहन देखा वो आदमी भी यहाँ हमने बदचलन देखा 

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गोपालदास नीरज के गीत | जलाओ दीये | Neeraj Ke Geet

जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतनाअँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए ।

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अब तो मजहब कोई | नीरज के गीत

अब तो मजहब कोई, ऐसा भी चलाया जाएजिसमें इनसान को, इनसान बनाया जाए

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जितना कम सामान रहेगा | नीरज का गीत

जितना कम सामान रहेगाउतना सफ़र आसान रहेगा

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तुम दीवाली बनकर

तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!

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गोपालदास नीरज के दोहे

(1)कवियों की और चोर की गति है एक समानदिल की चोरी कवि करे लूटे चोर मकान

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धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ

दिए से मिटेगा न मन का अँधेरा,धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ !

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मुझे न करना याद, तुम्हारा आँगन गीला हो जायेगा

मुझे न करना याद, तुम्हारा आँगन गीला हो जायेगा!

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खिड़की बन्द कर दो

खिड़की बन्द कर दोअब सही जाती नहीं यह निर्दयी बरसात-खिड़की बन्द कर दो।

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अब के सावन में

अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुईमेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई

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मुझको याद किया जाएगा

आँसू जब सम्मानित होंगे मुझको याद किया जाएगाजहाँ प्रेम का चर्चा होगा मेरा नाम लिया जाएगा।

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नीरज के हाइकु

जन्म मरण समय की गति के हैं दो चरण

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कोई नहीं पराया

कोई नहीं पराया, मेरा घर संसार है।

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