गोपालदास ‘नीरज’ साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 13

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बदन पे जिसके... 

बदन पे जिसके शराफत का पैरहन देखा 
वो आदमी भी यहाँ हमने बदचलन देखा 
खरीदने को जिसे कम थी दौलते दुनिया 

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गोपालदास नीरज के गीत | जलाओ दीये | Neeraj Ke Geet

जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए ।
नई ज्योति के धर नये पंख झिलमिल,

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अब तो मजहब कोई | नीरज के गीत

अब तो मजहब कोई, ऐसा भी चलाया जाए
जिसमें इनसान को, इनसान बनाया जाए
आग बहती है यहाँ, गंगा में, झेलम में भी

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जितना कम सामान रहेगा | नीरज का गीत

जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा
जितनी भारी गठरी होगी

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तुम दीवाली बनकर

तुम दीवाली बनकर जग का तम दूर करो,
मैं होली बनकर बिछड़े हृदय मिलाऊँगा!
सूनी है मांग निशा की चंदा उगा नहीं

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धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ

दिए से मिटेगा न मन का अँधेरा,
धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ !
बहुत बार आई-गई यह दिवाली

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गोपालदास नीरज के दोहे

(1)
कवियों की और चोर की गति है एक समान
दिल की चोरी कवि करे लूटे चोर मकान

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मुझे न करना याद, तुम्हारा आँगन गीला हो जायेगा

मुझे न करना याद, तुम्हारा आँगन गीला हो जायेगा!
रोज रात को नींद चुरा ले जायेगी पपिहों की टोली,
रोज प्रात को पीर जगाने आयेगी कोयल की बोली,

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खिड़की बन्द कर दो

खिड़की बन्द कर दो
अब सही जाती नहीं यह निर्दयी बरसात-खिड़की बन्द कर दो।
यह खड़ी बौछार, यह ठंडी हवाओं के झकोरे,

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अब के सावन में

अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
आप मत पूछिए क्या हम पे सफ़र में गुजरी

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मुझको याद किया जाएगा

आँसू जब सम्मानित होंगे मुझको याद किया जाएगा
जहाँ प्रेम का चर्चा होगा मेरा नाम लिया जाएगा।
मान-पत्र मैं नहीं लिख सका

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नीरज के हाइकु

जन्म मरण
समय की गति के
हैं दो चरण

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कोई नहीं पराया

कोई नहीं पराया, मेरा घर संसार है।
मैं ना बँधा हूँ देश-काल की जंग लगी जंजीर में,
मैं ना खड़ा हूँ जाति-पाति की ऊँची-नीची भीड़ में,

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गोपालदास ‘नीरज’ का जीवन परिचय