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श्रद्धांजलि हजगैबी-बिहारी | Shradhanjali Hajgaybee-Beeharry | Profile & Collections
श्रीमती श्रद्धांजलि हजगैबी-बिहारी (Mrs. Shradhanjali Hajgaybee-Beeharry) का जन्म 1987 में मॉरीशस के पूर्व प्रांत स्थित 'काँ दे मास्क पावे' गाँव में हुआ। आपको बहुत से लोग 'अंजलि' के नाम से भी जानते हैं।
आपने माध्यमिक एवं विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा महात्मा गांधी संस्थान, मॉरीशस से प्राप्त की। आपने हिंदी में बी.ए. तथा एम.ए. और प्रवेशिका, परिचय, प्रथमा, मध्यमा, उत्तमा, सरल संस्कृत एवं 'संस्कृत बिगिनर्स कोर्स' किया है।
पिछले दस वर्षों से सृजनात्मक लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हैं और मॉरीशस के नवोदित हिंदी कवियों में आपका नाम सम्मिलित है।
आप लोरेटो कॉलेज, फ़ुल दे स्कूल तथा मोका फ़्लाक सरोज संघ हिंदी पाठशाला में हिंदी अध्यापिका रह चुकी हैं। विश्व हिंदी सचिवालय में कार्य की शुरुआत इंतर्न के रूप में की थी, तत्पश्चात वर्ड प्रोसेसिंग ऑपेरेटर, फिर निजी सचिव (महासचिव) बनी और वर्तमान में सहायक संपादक पद पर कार्यरत हैं।
कविता प्रतियोगिता तथा श्रुत लेखन प्रतियोगिताओं में आप पुरस्कृत हैं। विभिन्न संगोष्ठियों, सम्मेलनों तथा कार्यशालाओं में सक्रिय प्रतिभागिता की है तथा विश्व हिंदी सचिवालय के कुछ कार्यक्रमों में मंच संचालन भी किया है।
आपकी रचनाएँ विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा प्रकाशित ‘विश्व हिंदी साहित्य\' तथा महात्मा गांधी संस्थान द्वारा प्रकाशित ‘वसंत' तथा ‘डायस्पोरा हिंदी संगम' में प्रकाशित हैं।
ईमेल : hajgaybeeanjali@gmail.com
श्रद्धांजलि हजगैबी-बिहारी | Shradhanjali Hajgaybee-Beeharry's Collection
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रिसती यादें
दोस्तों के साथ बिताए लम्हों की याद दिलाते कई चित्र आज भी पुरानी सी. डी. में धूल के नीचेमात खाकरदराज़ के किसी कोने में चुप-चाप सोये हुए हैं।दबी यादें हवा के झोंकों के साथ मस्तिष्क तक आकर रुक जातीं, कुछ यादें अभी भी ताज़ा हैंकुछ धूमिल हो गईं समय के साथ,दोस्त तो अब भी मिलते हैं पेज को लाइक करने वालेफोटो पर कमेंट करने वाले स्टेटस पर जोक करने वाले।नए दोस्त भी मिले तारीफ करने वाले,तारीफ भरे शब्दों के साथ स्माइलीज़ को मुंह पर चिपकाए घण्टों चैट पर ठहाके लगाने वाले।अब नहीं मिलते वे दोस्तलेकिन ... अब नहीं मिलते!नज़रें बार-बार उसी दराज़ तक जाकर रुक जातीं दोस्ती की उन यादों पर धूल अभी भी जमी है,परतें इतनी किनहीं दिखते वे दोस्त अबवे दोस्त ... जिनके मन की बात को जानने के लिए स्माइलीज़ की ज़रूरत नहीं पड़ती अपनी दोस्ती की गहराई दिखाने के लिए लाइक कमेंट की ज़रूरत नहीं पड़तीएक सेकंड के लॉग इन के फासले पर बैठे दोस्त...अब नहीं मिलते वे दोस्तअब नहीं मिलते।
तेरी हैवानियत
हैवानियत तेरीभूखी थी इतनीएक ही दम मेंनिगल लीहरेक अच्छाई मेरीमेरा स्नेह, मेरी ममतामेरी कोमलता, मेरे स्वप्नमेरा अक्स...
आम आदमी तो हम भी हैं
नहीं आती हँसी अब हर बात परलेकिन ये मत समझना कि मुझे कोई दर्द या ग़म हैबस नहीं आती हँसी अबहर बात पर
छोटा-सा लड़का
शून्यता में झाँकती, पथराई आँखें, प्रश्नों को सुलझाने में लगी थीं । सन्नाटा इतना कि दिल को कचोट लेती। हल्की-सी गर्म हवा बह रही थी। ऐसे ही बीती थी वो शाम, घर के पीछे वाले बरामदे में बैठे हुए, मैं और भाई। और दोनों चुप... मानो कोई जीव है ही नहीं।