श्रद्धांजलि हजगैबी-बिहारी | Shradhanjali Hajgaybee-Beeharry साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 4

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रिसती यादें

दोस्तों के साथ बिताए लम्हों की याद दिलाते कई चित्र आज भी पुरानी सी. डी. में धूल के नीचेमात खाकरदराज़ के किसी कोने में चुप-चाप सोये हुए हैं।दबी यादें हवा के झोंकों के साथ मस्तिष्क तक आकर रुक जातीं, कुछ यादें अभी भी ताज़ा हैंकुछ धूमिल हो गईं समय के साथ,दोस्त तो अब भी मिलते हैं पेज को लाइक करने वाले...

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तेरी हैवानियत

हैवानियत तेरीभूखी थी इतनीएक ही दम मेंनिगल लीहरेक अच्छाई मेरीमेरा स्नेह, मेरी ममतामेरी कोमलता, मेरे स्वप्नमेरा अक्स...
रोम रोम में बसा है तेरे पुरुषत्व पर, तेरे नाज़ का हरेक निशान दीवारों से टकरा करलौट जाता हैहरेक उलाहनादर्द में,नीरीह पड़ा हैविचारों के दलदल मेंविभत्स चेहरा मेरा नि:शब्दमेरी ...

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आम आदमी तो हम भी हैं

नहीं आती हँसी अब हर बात परलेकिन ये मत समझना कि मुझे कोई दर्द या ग़म हैबस नहीं आती हँसी अबहर बात पर
अगर हँस दें, कहीं तुम ये न समझ बैठो कि मैं खुश हूँ अपनी हालात पर नहीं तो ठहाके लगाना हमें भी आता है
हाँ, तकलीफ़ बहुत हैं वो ही, जो हर आम आदमी की होती हैअब आपको क्या गिनाऊँ--ये तो अब घर-...

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छोटा-सा लड़का

शून्यता में झाँकती, पथराई आँखें, प्रश्नों को सुलझाने में लगी थीं । सन्नाटा इतना कि दिल को कचोट लेती। हल्की-सी गर्म हवा बह रही थी। ऐसे ही बीती थी वो शाम, घर के पीछे वाले बरामदे में बैठे हुए, मैं और भाई। और दोनों चुप... मानो कोई जीव है ही नहीं।
बचपन के किस्से मुझे हमेशा से लुभाते रहे हैं। लेकिन उस...

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श्रद्धांजलि हजगैबी-बिहारी | Shradhanjali Hajgaybee-Beeharry का जीवन परिचय