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वृन्द | Profile & Collections
कवि वृन्द का जन्म संवत् 1720 के लगभग मथुरा के आसपास हुआ था। आपकी शिक्षा कांशी में हुई थी। बाद में कृष्णगढ़ के महाराज मानसिंह ने इन्हें अपना दरबारी बनाकर सम्मानित किया। वे आजीवन वहीं रहे।
कवि वृन्द की ख्याति विशेष रूप से नीति-काव्य के लिए है। आपकी प्रमुख रचना है - वृन्द सतसई। इसमें सात सौ दोहे हैं। आपकी भाषा सरल-सुबोध है। कहावतों और मुहावरों का प्रयोग सुन्दर ढंग से हुआ है।
वृन्द's Collection
Total Records: 2
वृन्द के नीति-दोहे
स्वारथ के सब ही सगे, बिन स्वारथ कोउ नाहिं ।जैसे पंछी सरस तरु, निरस भये उड़ि जाहिं ।। १ ।।