उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 14

Author Image

हिन्दी रुबाइयां

मंझधार से बचने के सहारे नहीं होते,
दुर्दिन में कभी चाँद सितारे नहीं होते।
हम पार भी जायें तो भला जायें किधर से,

पूरा पढ़ें...

उदयभानु हंस की ग़ज़लें

उदयभानु हंस का ग़ज़ल संकलन

पूरा पढ़ें...

हमने अपने हाथों में

हमने अपने हाथों में जब धनुष सँभाला है,
बाँध कर के सागर को रास्ता निकाला है।
हर दुखी की सेवा ही है मेरे लिए पूजा,

पूरा पढ़ें...

सीता का हरण होगा

कब तक यूं बहारों में पतझड़ का चलन होगा?
कलियों की चिता होगी, फूलों का हवन होगा ।
हर धर्म की रामायण युग-युग से ये कहती है,

पूरा पढ़ें...

सृजन पर दो हिन्दी रुबाइयां

अनुभूति से जो प्राणवान होती है,
उतनी ही वो रचना महान होती है।
कवि के ह्रदय का दर्द, नयन के आँसू,

पूरा पढ़ें...

सपने अगर नहीं होते | ग़ज़ल

मन में सपने अगर नहीं होते,
हम कभी चाँद पर नहीं होते।
सिर्फ जंगल में ढूँढ़ते क्यों हो?

पूरा पढ़ें...

जी रहे हैं लोग कैसे | ग़ज़ल

जी रहे हैं लोग कैसे आज के वातावरण में,
नींद में दु:स्वप्न आते, भय सताता जागरण में।
बेशरम जब आँख हो तो सिर्फ घूंघट क्या करेगा ?

पूरा पढ़ें...

दीवाली : हिंदी रुबाइयां

सब ओर ही दीपों का बसेरा देखा,
घनघोर अमावस में सवेरा देखा।
जब डाली अकस्मात नज़र नीचे को,

पूरा पढ़ें...

स्वप्न सब राख की...

स्वप्न सब राख की ढेरियाँ हो गए,
कुछ जले, कुछ बुझे, फिर धुआँ हो गए।  
पेट की भूख से आग ऐसी लगी,

पूरा पढ़ें...

बैठे हों जब वो पास

बैठे हों जब वो पास, ख़ुदा ख़ैर करे
फिर भी हो दिल उदास, ख़ुदा ख़ैर करे
मैं दुश्मनों से बच तो गया हूँ, लेकिन

पूरा पढ़ें...

संकल्प-गीत

हम तरंगों से उलझकर पार जाना चाहते हैं।
कष्ट के बादल घिरें हम किंतु घबराते नहीं हैं
क्या पतंगे दीपज्वाला से लिपट जाते नहीं हैं?

पूरा पढ़ें...

संकल्प-गीत

हम तरंगों से उलझकर पार जाना चाहते हैं।
कष्ट के बादल घिरें हम किंतु घबराते नहीं हैं
क्या पतंगे दीपज्वाला से लिपट जाते नहीं हैं?

पूरा पढ़ें...

भुला न सका | ग़ज़ल

मैं उनकी याद को दिल से कभी भुला न सका,
लगी वो आग जिसे आज तक बुझा न सका। 
 

पूरा पढ़ें...

उदयभानु ‘हंस' के हाइकु

युवक जागो!
अपना देश छोड़
यूँ मत भागो!

पूरा पढ़ें...

उदयभानु हंस | Uday Bhanu Hans का जीवन परिचय