जो है समर्थ, जो शक्तिमान,जीवन का है अधिकार उसे।उसकी लाठी का बैल विश्व,पूजता सभ्य-संसार उसे!
दुर्बल का घातक दैव स्वयं,समझो बस भू का भार उसे।'जैसे को तैसा'-- नियम यही,होना ही है संहार उसे।
है दास परिस्थितियों का नर,रहना है उसके अनुसार उसे।जीता है योग्य सदा जग में ,दुर्बल ही है...
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