हरिहर झा | ऑस्ट्रेलिया | Harihar Jha साहित्य Hindi Literature Collections

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कलम गहो हाथों में साथी

कलम गहो हाथों में साथी
शस्त्र हजारों छोड़
तूलिका चले, खुले रहस्य तो

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लिखना बाकी है

शब्दों के नर्तन से शापित
अंतर्मन शिथिलाया
लिखने को तो बहुत लिखा

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मण्डी बनाया विश्व को

लुढ़कता पत्थर शिखर से, क्यों हमें लुढ़का न देगा ।
क्रेन पर ऊँचा चढ़ा कर, चैन उसकी क्यों तोड़ दी
दर्शन बनाया लोभ का , मझधार नैया छोड़ दी

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मदिरा ढलने पर | कविता

 
नजरों से गश आया साकी
मदिरा ढलने पर क्या होगा।

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हरिहर झा | ऑस्ट्रेलिया | Harihar Jha का जीवन परिचय