डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा' साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 15

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लाल बहादुर शास्त्री | कविता

लालों में वह लाल बहादुर,भारत माता का वह प्यारा।कष्ट अनेकों सहकर जिसने,निज जीवन का रूप संवारा।
तपा तपा श्रम की ज्वाला में,उस साधक ने अपना जीवन।बना लिया सच्चे अर्थों में,निर्मल तथा कांतिमय कुंदन।
सच्चरित्र औ' त्याग-मूर्ति था,नहीं चाहता था आडम्बर।निर्धनता उसने देखी थी,दया दिखाता था निर्धन पर।
नही...

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भूल कर भी न बुरा करना | ग़ज़ल

भूल कर भी न बुरा करना जिस क़दर हो सके भला करना।
सीखना हो तो शमअ़ से सीखो दूसरों के लिए जला करना।
रह के तूफ़ां में हम ने सीखा है तेज़ लहरों का सामना करना।
भूल कर ही सही कभी 'राणा' याद हम को भी कर लिया करना।
- डा राणा प्रताप सिंह राणा गन्नौरी
 

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वंदना | बाल कविता

मैं अबोध सा बालक तेरा,ईश्वर! तू है पालक मेरा ।         हाथ जोड़ मैं करूँ वंदना,         मुझको तेरी कृपा कामना ।मैं हितचिंतन करूँ सभी का,बुरा न चाहूँ कभी किसी का ।         कभी न संकट स...

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हिन्दी ही अपने देश का गौरव है मान है

पश्चिम की सभ्यता को तो अपना रहे हैं हम, दूर अपनी सभ्यता से मगर जा रहे हैं हम ।
इस रोशनी में कुछ भी हमें सूझता नहीं, आँखें खुली हुई है मगर दीखता नहीं ।
इंगलिश का बोलबाला किया चाहते हैं हम जो कुछ न चाहिए था किया चाहते हैं हम ।
हिन्दी है आज हिन्दी-विरोधी बने हुए, अपने ही पक्ष के है विपक्षी बने हु...

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प्यारे बच्चो | बाल कविता

सुबह सवेरे उठकर बच्चो!मात-पिता को शीश नवाओ ।दातुन कुल्ला करके प्रतिदिन,मुँह की बदबू दूर भगाओ ।
तन को स्वस्थ बना रखने को,नित व्यायाम करो हल्का-सा ।ताजे़ जल से रोज नहाकर,कुछ क्षण नाम जपो ईश्वर का ।
कभी न गंदे वस्त्र पहनना,सदा साफ़ औ' सुथरे रहना ।अच्छे कहलाना चाहो तो,करना सदा बड़ों का कहना ।
झूठ ब...

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चाचा नेहरू | बाल कविता

वह मोती का लाल जवाहर,
‍‌अपने युग का वह नरनाहर ।
भोली भाली मुस्कानों पर,
करता था सर्वस्व निछावर ।
 
वह बच्चों का प्यारा चाचा,
उनका हित सोचा करता था ।
बड़े चाव से बच्चों के संग,
बच्चा बन खेला करता था ।

सौंप दिया नन्हें बच्चों को,
अपना जन्म दिवस भी उसने ।
प्यार दिखाने को ब...

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नेता जी सुभाषचन्द्र बोस

वह इस युग का वीर शिवा था,
आज़ादी का मतवाला था।
 
जन-मन पर शासन था उसका,
दृढ़ तन कोमल मन था उसका।
 
शासन की मुट्ठी से निकला,
और कभी फिर हाथ ना आया।
 
शासन के सब यत्न विफ़ल कर,
साफ़ गया वह वीर निकल कर।
 
वह अफ़गानिस्तान गया था,
जर्मनी औ' जापान गया था।
 
एकाकी...

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खेल हमारे

गुल्ली डंडा और कबड्डी,चोर-सिपाही आँख  मिचौली।  कुश्ती करना, दौड़ लगानाहै अपना आमोद पुराना। 
खेल हमारे ऐसे होते,ख़र्च न जिसमें पैसे होते।मजा बहुत आता है इनमें,बल भी बढ़ जाता है इनमें। 
निर्धन और धनी सब खेलें,ख़ुश होते हैं जब-जब खेलें।चौपड़ औ' शतरंज नाम के,खेल ह...

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बड़ी नाज़ुक है डोरी | ग़ज़ल 

बड़ी नाज़ुक है डोरी साँस की यह  कहीं टूटी तो बाकी क्या रहेगा
रखो तुम बंद चाहे अपनी घड़ियां समय तो रात दिन चलता रहेगा
न जाने क्यों हमें यह लग रहा है हमारे बाद सन्नाटा रहेगा
वृथा है आज, कल की फिक्र 'राणा' जो कुछ होना है वह होता रहेगा
-डॉ राणा प्रताप सिंह 'राणा' गन्नौरी ...

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प्रेम देश का... | ग़ज़ल 

प्रेम देश का ढूंढ रहे हो गद्दारों के बीच फूल खिलाना चाह रहे हो अंगारों के बीच
खतरनाक है इनके साए में चलना भी दोस्त भरा हुआ बारूद ना होवे दीवारों के बीच
मनोयोग से ध्यान लगाए जरा बैठ कर देख शायद सिसकी सच की सुन ले तू नारों के बीच
ईश्वर तेरी करुणा ही अब इसकी खैर करे एक मसीहा घिरा हुआ है हत्यारों ...

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जिस तरफ़ देखिए अँधेरा है | ग़ज़ल

जिस तरफ़ देखिए अँधेरा हैयह सवेरा भी क्या सवेरा है
हम उजाले की आस रखते थेअब अँधेरा अधिक घनेरा है
दैन्य, दुख, दर्द, शोक कुंठाएंइन सभी ने मनुज को घेरा है
तेरे मेरे का यह विवाद है क्याकुछ न तेरा यहाँ न मेरा है
उनका आना और आके चल देनाजोगियों की तरह का फेरा है
कोई गुज़रा है चाँद सा जिसनेपथ में आलो...

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मीठे बोल - डा राणा का बाल साहित्य

बच्चों के लिए लिखने वाले के पास बच्चों जैसा सरल एवं निश्छल मन भी होना चाहिए । प्राय: कहा जाता है कि बच्चों के लिए लिखने वालों की संख्या अधिक नहीं है । कुछ कलमकार बड़ों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी लिखते रहते हैं । ऐसे कलमकारों में आप मेरी गणना भी कर सकते हैं । कुछ ऐसे भी कलमकार हैं जो लिखते ही बच्च...

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प्रतिपल घूंट लहू के पीना | ग़ज़ल

प्रतिपल घूँट लहू के पीना,ऐसा जीवन भी क्या जीना ।
बहुत सरल है घाव लगाना,बहुत कठिन घावों का सीना ।
छेड़ गया सोई यादों को,सावन का मदमस्त महीना ।
पीठ न वीर दिखाते रण में,छलनी भी हो जाये सीना ।
जो मरने से तनिक न डरता,जीना है उसका ही जीना ।
काव्य-कला-साधन में 'राणा',"एक हुआ है खून-पसीना ''
- डा र...

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बात हम मस्ती में ऐसी कह गए | ग़ज़ल

बात हम मस्ती में ऐसी कह गए,होश वाले भी ठगे से रह गए।
कष्ट जीवन में हमारे थे बहुत,हम मगर हँसते हुए सब सह गए।
बढ़ गए, आगे बढ़े जिन के कदम,रह गए जो लोग पीछे रह गए।
लाख चाहा था कि आँखों में रहें,किंतु विह्वल अश्रु फिर भी बह गए।
- डा राणा प्रतापसिंह गन्नौरी 'राणा'

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सामने आईने के जाओगे

सामने आईने के जाओगे?इतनी हिम्मत कहां से लाओगे?
सख्त मुश्किल है सामना अपनाकिस तरह खुद को मुंह दिखाओगे
है बहुत बेनियाज़ यह दुनियानाज़ किस-किस के तुम उठाओगे
ख़ार बोकर गुलों की ख्वाहिश क्योंरंज देकर खुशी न पाओगे
ये बड़े लोग हैं बहुत छोटेदेख लोगे जब आज़माओगे
दूर भागोगे उतने ही इनसेजितने इन के करीब ज...

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डा. राणा प्रताप सिंह गन्नौरी 'राणा' का जीवन परिचय