गुल्ली डंडा और कबड्डी,चोर-सिपाही आँख मिचौली। कुश्ती करना, दौड़ लगानाहै अपना आमोद पुराना।
खेल हमारे ऐसे होते,ख़र्च न जिसमें पैसे होते।मजा बहुत आता है इनमें,बल भी बढ़ जाता है इनमें।
निर्धन और धनी सब खेलें,ख़ुश होते हैं जब-जब खेलें।चौपड़ औ' शतरंज नाम के,खेल ह...
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