फणीश्वरनाथ रेणु | Phanishwar Nath 'Renu' साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 4

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साजन! होली आई है!

साजन! होली आई है!
सुख से हँसना
जी भर गाना

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रसप्रिया

धूल में पड़े कीमती पत्थर को देख कर जौहरी की आँखों में एक नई झलक झिलमिला गई - अपरूप-रूप!
चरवाहा मोहना छौंड़ा को देखते ही पँचकौड़ी मिरदंगिया की मुँह से निकल प...

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मारे गये मारे गये ग़ुलफाम उर्फ तीसरी कसम

हिरामन गाड़ीवान की पीठ में गुदगुदी लगती है...
पिछले बीस साल से गाड़ी हाँकता है हिरामन। बैलगाड़ी। सीमा के उस पार, मोरंग राज नेपाल से धान और लकड़ी ढो चुका है।...

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ठेस

खेती-बारी के समय, गाँव के किसान सिरचन की गिनती नहीं करते। लोग उसको बेकार ही नहीं, 'बेगार' समझते हैं। इसलिए, खेत-खलिहान की मजदूरी के लिए कोई नहीं बुलाने जाता ?...

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फणीश्वरनाथ रेणु | Phanishwar Nath 'Renu' का जीवन परिचय