रसखान साहित्य Hindi Literature Collections of Raskhan

कुल रचनाएँ: 3

Author Image

दोहे | रसखान के दोहे

प्रेम प्रेम सब कोउ कहत, प्रेम न जानत कोइ।
जो जन जानै प्रेम तो, मरै जगत क्यों रोइ॥
कमल तंतु सो छीन अरु, कठिन खड़ग की धार।

पूरा पढ़ें...

रसखान की पदावलियाँ | Raskhan Padawali

मानुस हौं तो वही रसखान बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र ?...

पूरा पढ़ें...

रसखान के फाग सवैय्ये

मिली खेलत फाग बढयो अनुराग सुराग सनी सुख की रमकै।
कर कुंकुम लै करि कंजमुखि प्रिय के दृग लावन को धमकैं।।
रसखानि गुलाल की धुंधर में ब्रजबालन की दुति यौं दमक?...

पूरा पढ़ें...

रसखान का जीवन परिचय