अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार बिना टिकट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर जहाँ ‘मूड' आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर
वंदन कर भारत माता का, गणतंत्र राज्य की बोलो जय । काका का दर्शन प्राप्त करो, सब पाप-ताप हो जाए क्षय ॥ मैं अपनी त्याग-तपस्या से जनगण को मार्ग दिखाता हूँ ।
अँग्रेजी से प्यार है, हिंदी से परहेज, ऊपर से हैं इंडियन, भीतर से अँगरेज #
बिना टिकिट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर जहाँ ‘मूड' आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू
मन मैला तन ऊजरा भाषण लच्छेदार ऊपर सत्याचार है भीतर भ्रष्टाचार झूठों के घर पंडित बाँचें कथा सत्य भगवान की
चोटी के कवि बोले माइक पकड़ कर, पापड़चंद ‘पराग’।
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा हम भेड़-बकरी इसके यह ग्वारिया हमारा सत्ता की खुमारी में, आज़ादी सो रही है
सुनो एक कविगोष्ठी का, अद्भुत सम्वाद । कलाकार द्वय भिडे गए, चलने लगा विवाद ।। चलने लगी विवाद, एक थे कविवर 'घायल' ।
बटुकदत्त से कह रहे, लटुकदत्त आचार्य। सुना? रूस में हो गई है हिंदी अनिवार्य।। है हिंदी अनिवार्य, राष्ट्रभाषा के चाचा-
हिंदी-हिंदू-हिंद का, जिनकी रग में रक्त सत्ता पाकर हो गए, अँगरेज़ी के भक्त अँगरेज़ी के भक्त, कहाँ तक करें बड़ाई
पत्रकार दादा बने, देखो उनके ठाठ। कागज़ का कोटा झपट, करें एक के आठ।। करें एक के आठ, चल रही आपाधापी ।
जन-गण मन के देवता, अब तो आंखें खोल महंगाई से हो गया, जीवन डांवाडोल जीवन डाँवाडोल, ख़बर लो शीघ्र कृपालू
कितना भी हल्ला करे, उग्रवाद उदंड, खंड-खंड होगा नहीं, मेरा देश अखंड। मेरा देश अखंड, भारती भाई-भाई,
[इसमें 64 कार हैं, सरकार] अहंकार जी ने कहा लेकर एक डकार, कितने कार प्रकार हैं, इस पर करें विचार।
काका से कहने लगे ठाकुर ठर्रा सिंह दाढ़ी स्त्रीलिंग है, ब्लाउज़ है पुल्लिंग ब्लाउज़ है पुल्लिंग, भयंकर गलती की है
कुरसीमाई शासन की कुरसी मिले, हों साहब के ठाठ, कुरसी जी की कृपा से, सोफा हाजिर आठ।
कवियों की पंक्तियां, श्रोताओं की फब्तियां : ० कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे...... (नीरज) ( तो हम क्या करें, टाइम पर क्यों नहीं आए आप ? )