अपनी साहित्यिक यात्रा में मुझे न किसी को पछाड़ने की फ़िक्र रही और न किसी से पिछड़ने का आतंक। इरादा सिर्फ इतना कि लिखते रहो, अपने कदमों से बढ़ते रहो, अपनी र...
दिन के बाद उसने चाँद-सितारे देखे हैं। अब तक वह कहाँ था? नीचे, नीचे, शायद बहुत नीचे...जहाँ की खाई इनसान के खून से भर गई थी। जहाँ उसके हाथ की सफाई बेशुमार गोलियो?...